सेंट्रल डेस्क : यह 2022 के आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में पहला चुनाव है। राष्ट्रपति चुनाव में लगभग 75 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। हालांकि नवंबर 2019 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में 83 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया था।
प्रचार के दौरान अडानी का प्रोजेक्ट रद्द कराने का किया था वादा
चुनाव प्रचार के दौरान अनुरा दिसानायके ने जनता से वादा किया था कि अगर वे राष्ट्रपति बन जाते हैं तो श्रीलंका में अडानी प्रोजेक्ट रद्द करवाएंगे। साथ ही बता दें कि अनुरा कुमार दिसानायके श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से सांसद हैं। वह 2019 में भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ चुके हैं और वे अपने कॉलेज के समय से जेवीपी पार्टी से जुड़े हुए थे। दिसानायके की लोकप्रियता उनके उदारवादी विचार, भ्रष्टाचार विरोधी ख्याल और अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर उतारने के वादे से बढ़ी है।
अवसर साबित हुआ श्रीलंका का संकट
विश्लेषकों का कहना है कि दिसानायके की जीत अप्रत्याशित है। हालांकि चुनाव से पहले ही उनकी जीत का अनुमान जताया गया था। दिसानायके की एनपीपी को पिछले चुनाव में महज तीन प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं श्रीलंका का संकट दिसानायके के लिए एक अवसर साबित हुआ, जिन्हें इस द्वीपीय देश की भ्रष्ट राजनीतिक संस्कृति बदलने के उनके संकल्प के लिए भरपूर समर्थन मिला। साथ ही इस बार अल्पसंख्यक तमिल मुद्दा एजेंडे में नहीं था। इसके बजाय देश की चरमराई अर्थव्यवस्था और उसे पटरी पर लाने का मुद्दा केंद्र में था।
अली साबरी ने ‘एक्स’ पर दिसानायके को दी जीत की बधाई
रविवार को मिले शुरुआती रुझानों में 56 वर्षीय दिसानायके ने 52 प्रतिशत वोट हासिल किए जबकि उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी एवं मुख्य विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा ने 23 प्रतिशत वोट हासिल किए। निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे महज 16 फीसदी वोटों हासिल कर सके हैं। बता दें कि विक्रमसिंघे ने अभी हार स्वीकार नहीं की है लेकिन निवर्तमान विदेश मंत्री अली साबरी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर दिसानायके को जीत की बधाई दी।
जनादेश का सम्मान: अली साबरी
साबरी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा है की ‘‘लंबे और कठिन अभियान के बाद चुनाव के नतीजे अब स्पष्ट हैं। मैंने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के लिए काफी प्रचार किया लेकिन श्रीलंका के लोगों ने अपना फैसला दे दिया है और मैं अनुरा कुमारा दिसानायके के लिए उनके जनादेश का पूरी तरह सम्मान करता हूं। लोकतंत्र में लोगों की इच्छा का सम्मान करना अहम है और मैं बेहिचक इसका सम्मान करता हूं।’’ वहीं प्रेमदासा खेमे के वरिष्ठ नेता हर्षा डी सिल्वा ने भी दिसानायके को बधाई दी है। एनपीपी सूत्रों ने ये भी बताया है कि वो सत्ता हस्तांतरण की औपचारिकताओं पर चर्चा के लिए रविवार को राष्ट्रपति सचिवालय जाएंगे।
कौन हैं अनुरा दिसानायके
मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके का जन्म 24 नवंबर 1968 में श्रीलंका के अनुराधापुरा जिले के थंबूथेगामा गांव में हुआ था। अनुरा के पिता मजदूर थे। वे साल 2000 में पहली बार संसद के सदस्य बने। 2022 में आर्थिक संकट के समय अनुरा की लोकप्रियता काफी बढ़ी। वह अपने भाषणों और नीतिगत वादों के सहारे लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में सफल रहे हैं। उन्होंने गरीबों के हित में नीतियां बनाने का वादा भी किया।
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