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Article 370 :  अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला सही था:  सुप्रीम कोर्ट

by Rakesh Pandey
Chief Justice
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नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि  राष्ट्रपति का फैसला संवैधानिक तौर पर वैध था। फैसला फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 370 (Article 370) अस्थायी था। संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर में लागू होंगे।

कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 (Article 370) पर राष्ट्रपति को फैसला लेने का पूरा अधिकार है। उनके पास संवैधानिक शक्तियां हैं। यह फैसला पांच जजों की संविधान पीठ का है जिसे cji ने पढ़ा। सीजेआई ने कहा कि युद्ध के हालात में 370 (Article 370)हटाने का फैसला अंतरिम फैसला था और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।

सीजेआई ने यह भी कहा कि सितंबर 2024 तक सुप्रीम कोर्ट में चुनाव कराया जाए।

जानिए क्या था पूरा मामला

 केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370  (Article 370) के प्रावधानों को निरस्त करने का निर्णय लिया था। केंद्र के इस फैसले के बाद जम्मू से विशेष राज्य का दर्जा छिन गया था और यह केंद्र के अधीन आ गया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई।

फिलहाल, आज यह साफ हो गया है कि केंद्र का फैसला संवैधानिक रूप से वैध था। केंद्र सरकार का कहना है कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। इसको अलग-अलग याचिकाओं के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। SC ने 16 दिन की सुनवाई के बाद 5 सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

धारा 370 हटाने के पीछे केंद्र सरकार ने यह दिया था तर्क:

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद अमन और शांति आई है। विकास कार्य भी तेजी से होने लगे हैं। आतंकी घटनाओं में कमी आई है। युवाओं को रोजगार की तरफ आकर्षित देखा जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भी बदलाव आया है। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एम्स बनाए जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले (Article 370)की बड़ी बातें:

• सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसला देने से इनकार कर दिया। SC ने कहा कि इसे याचिकाकर्ता द्वारा विशेष रूप से चुनौती नहीं दी गई थी।

• सीजेआई ने कहा, जब राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो राज्यों में संघ की शक्तियों पर सीमाएं होती हैं। अनुच्छेद 356 (Article 370) के तहत शक्ति के प्रयोग की उचित वजह होनी चाहिए।

• सीजेआई ने कहा, संवैधानिक व्यवस्था ने यह संकेत नहीं दिया कि जम्मू-कश्मीर ने संप्रभुता बरकरार रखी है।

• जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग बन गया, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है।

• CJI ने कहा- अनुच्छेद 370 (3) के तहत राष्ट्रपति की अधिसूचना जारी करने की शक्ति कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो जाता है, जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के विघटन के बाद भी कायम रहती है।

• हमें यह निर्धारित करना आवश्यक नहीं लगता कि जम्मू-कश्मीर का UT में पुनर्गठन वैध है या नहीं। केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को बरकरार रखा गया है क्योंकि अनुच्छेद 3 राज्य के एक हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अनुमति देता है।

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सुनवाई में जज थे शामिल थे: 

बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी रहे। सीजेआई, जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत ने एक फैसला दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसके कौल ने अलग फैसला लिखा।

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