नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से लगाए गए ‘शीशमहल’ आरोपों पर अब विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में जांच पहले से ही नवंबर 2024 से चल रही थी, लेकिन अब केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सीपीडब्ल्यूडी से नए निर्देश जारी किए हैं, ताकि इस मामले की गहनता से जांच की जा सके।
विजेंद्र गुप्ता का आरोप
बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजेंद्र गुप्ता ने 14 अक्टूबर 2024 को इस मुद्दे पर शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास, जो दिल्ली के फ्लैग स्टाफ रोड पर स्थित 6 नंबर के बंगले में स्थित है, को अवैध तरीके से रेनोवेट किया गया है। गुप्ता ने सीवीसी से यह शिकायत की थी कि इस बंगले के रेनोवेशन में कुछ निर्माण मानदंडों का उल्लंघन किया गया है, विशेषकर ग्राउंड कवरेज और फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) से संबंधित नियमों का। उनका कहना था कि इस बंगले के निर्माण में सरकारी संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया गया और उनमें विलय कर दिया गया, जिससे मानकों का उल्लंघन हुआ।
सीवीसी की ओर से जांच आदेश
इस शिकायत के बाद, केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सीपीडब्ल्यूडी (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग) से जांच शुरू करने का आदेश दिया। 5 दिसंबर 2024 को, सीपीडब्ल्यूडी के मुख्य सतर्कता अधिकारी ने इस मामले की जांच से संबंधित तथ्यात्मक रिपोर्ट सीवीसी को सौंपी थी। रिपोर्ट के आधार पर 13 फरवरी 2025 को सीवीसी ने सीपीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को मामले की और विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया। सीवीसी के आदेश के बाद अब यह मामला और भी गंभीर हो गया है और यह केजरीवाल के लिए कानूनी संकट का कारण बन सकता है।
सीपीडब्ल्यूडी की भूमिका
सीवीसी के आदेश के बाद सीपीडब्ल्यूडी ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। इस जांच में यह देखा जाएगा कि क्या 40,000 वर्ग गज में फैला यह भव्य बंगला निर्माण मानदंडों का उल्लंघन करता है या नहीं। गुप्ता का आरोप था कि दिल्ली के राजपुर रोड पर स्थित दो सरकारी बंगले, जिनमें प्लॉट नंबर 45 और 47 शामिल हैं, को ध्वस्त कर दिया गया और उनका निर्माण नए बंगले में विलय कर दिया गया, जो कि स्पष्ट रूप से मानक नियमों का उल्लंघन है।
क्या है ‘शीशमहल’ मामला?
‘शीशमहल’ शब्द को बीजेपी ने आरोपों में इस्तेमाल किया है, जो की केजरीवाल के इस भव्य आवास को लेकर सार्वजनिक चर्चा में आया है। आरोप है कि यह आलीशान बंगला सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग करते हुए बनाए गए नियमों और मानकों से परे है। इसमें सीवीसी द्वारा दी गई जांच के आदेश के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सीपीडब्ल्यूडी द्वारा किए गए काम की पूरी जांच होगी।
राजनीतिक संदर्भ और केजरीवाल की स्थिति
बीजेपी ने इस मामले को लेकर केजरीवाल पर आरोप लगाए थे, जिसे अब केंद्रीय सतर्कता आयोग ने गंभीरता से लिया है। इस जांच के बाद अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो यह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए कानूनी मुश्किलों का कारण बन सकता है। वहीं, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने आरोपों को खारिज किया है और इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है, लेकिन केंद्रीय सतर्कता आयोग के आदेश ने इसे एक नया मोड़ दे दिया है।
Read also- Bihar Elections 2025 : नीतीश कुमार होंगे NDA का चेहरा, BJP ने किया स्पष्ट

