Bahraich Violence: बहराइच हिंसा मामले में अब शासन ने इस घटना में संलिप्त आऱोपियों से लेकर अधिकारियों तक की खबर लेनी शुरू की है। घटना के 9वें दिन शासन ने अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण डॉ पवित्र मोहन त्रिपाठी को उनके पद से हटा दिया गया। उनकी जगह एएसपी दुर्गा प्रसाद को अप्वाइंट किया गया है।
इस कार्रवाई के बाद से अन्य अधिकारियों पर भी गाज गिरने की अटकलें लगाई जा रही है। हिंसा के बाद से ही लगातार कार्रवाई की जा रही है। हाल ही में महसी के सीओ रुपेंद्र गौड़ को भी निलंबित कर दिया गया था। उनकी जगह सीओ रवि खोखर को पदभार सौंपा गया था।
इस अधिकारी की बात मानते, तो नहीं होती हिंसा
इस हिंसा में अब कई खुलासे भी हो रहे है। हरदी थाना के एसओ ने दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के दो दिन पहले ही पत्र लिखकर पीएसी व केंद्रीय पुलिस बल की तैनाती की मांग की थी। लेकिन एसओ की बातों पर ध्यान नहीं दिया गया। इस लापरवाही का नतीजा कितनों को जान देकर चुकानी पड़ी।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
बहराइच में हुए सांप्रदायिक दंगे का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस घटना के बाद लोक निर्माण आय़ोग ने आरोपियों सहित 23 घरों में अवैध निर्माण का नोटिस लगाया था। जिनमें से 20 मुस्लिम घर और 3 हिंदू घर है। बुलडोजर एक्शन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन के लिए रोक लगा दी है। इस मामले में आरोपियों की ओर से शीर्ष अदालत में त्वरित सुनवाई की अपील की गई थी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश की सरकार अदालत की अवमानना का जोखिम उठाना चाहती है, तो ये उनकी मर्जी पर निर्भर है।
याचिका में अनुच्छेद 21 का हवाला
आरोपियों ने अपनी याचिका में संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी) का उल्लंघन बताया है। याचिका कर्ता का कहना है कि प्रशासन द्वारा यह कार्रवाई बिना किसी पूर्व सूचना और बिना किसी कारण के की जा रही है। इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक दिन तक इंतजार करने का आदेश दिया है।
दो आरोपियों का हो चुका है एनकाउंटर
बहराइच में हुई वीभत्स हिंसा के दो आरोपियों का एनकाउंटर हो गया है। कुल 5 लोग पकड़े गए थे। पांचों नेपाल भागने की फिराक में थे। जिनका एनकाउंटर हुआ, उनके नाम सरफराज और फहीम था। घटना वाले दिन से ही पुलिस को इनकी तलाश थी।
कैसे शुरू हुई थी हिंसा
बहराइच के हरदी थाना क्षेत्र में शाम 6 बजे दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए जूलुस निकाले गए। जूलुस जब महाराजगंज बाजार से समुदाय विशेष के मोहल्ले से गुजर रहा था, तभी दो पक्षों में बाताबाती हो गई और छतों से पत्थर फेंके जाने लगे। जिससे विसर्जन में भगदड़ मच गई। तभी रामगोपाल को एक छत पर गोली मार दी गई औऱ बवाल शुरू हो गया।