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बांग्लादेशी हिंदुओं पर नई आफत, सरकारी नौकरियों से किए गए दरकिनार

हिंदुओं के खिलाफ इस तरह के फरमान को मानवाधिकार संगठनों ने निंदा की है। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से बांग्लादेश में हिंदुओं के बढ़ते अत्याचार पर हस्तक्षेप करने का निवेदन किया गया है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क: बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार की बातें देश-दुनिया में चल ही रही थी कि यहां के अंतरिम सरकार ने हिंदुओं के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है। सरकारी नौकरियों को लेकर अपनी नीति बेहद सख्त कर दी है, जिसके तहत सरकारी नौकरियों में हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। बांग्लादेश के मंत्री जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि बांग्लादेश एक मुस्लिम बहुल देश है। इसलिए, चाहे पुलिस हो या सरकारी नौकरी, मुसलमानों को पहली प्राथमिकता दी जाएगी।

हिंदुओं के आवेदन खारिज, 100 से अधिक अधिकारी बर्खास्त
पारित किए गए नए सरकारी आदेश में पुलिस विभाग में हिंदुओं की नियुक्ति को प्रतिबंधित किया गया है, जिसमें कांस्टेबल से लेकर उच्च रैंक तक शामिल हैं। इन पदों के लिए 1,500 से अधिक हिंदू आवेदकों ने अप्लाई किया था, जिन्हें खारिज कर दिया गया है। साथ ही 100 से अधिक हिंदू अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया है।

हिंदुओं में बढ़ रहा आक्रोश
बांग्लादेश सरकार के इस विवादास्पद आदेश ने हिंदुओं को पुलिस और सिविल सेवा पदों पर नियुक्त होने से रोक दिया है। बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के इस फैसले ने व्यापक आक्रोश और देश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव के आरोपों को जन्म दिया है।

भर्ती प्रक्रिया रोकी, अब नए सिरे से होगी
खबरों के मुताबिक, गृह मंत्रालय और लोक सेवा आयोग ने कथित तौर पर अधिकारियों से कहा है कि वे हिंदुओं को कांस्टेबल से लेकर उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी तक के रूप में भर्ती न करें। इस नए निर्देश के आधार पर 1,500 से अधिक हिंदू उम्मीदवार आवेदन पहले ही रद्द कर दिए गए हैं। इसके अलावा, पहले से ही प्रक्रिया में 79,000 भर्तियों को भी रोक दिया गया है और जनवरी 2025 में नए सिरे से भर्ती शुरू होगी, जिसमें हिंदुओं को भर्ती से बाहर रखा जाएगा।

हावी हो रहे चरमपंथी
गौरतलब है कि शेख हसीना की सरकार के जाने के बाद से हिंदू विरोधी नीतियों ने तीखे मोड़ लिए हैं। नीति के अनुसार, यह कानून प्रवर्तन और सिविल सेवा दोनों में हिंदू प्रतिनिधित्व को खत्म करना चाहती है। 100 से अधिक हिंदू अधिकारियों, सहायक अधीक्षकों, अधीक्षकों और डीआईजी रैंक के अधिकारियों को उनके पदों से निष्कासित कर दिया गया है। इसकी जगह पर जमात-ए-इस्लाम जैसे चरमपंथी संगठनों के सदस्य या समर्थक लोग कब्जा कर रहे हैं। पुलिस महानिरीक्षक बहारुल आलम को सख्त आदेश दिया गया है कि हिंदुओं की भर्ती न करें, भले ही वे पात्र हों। इसके अलावा, आदेश का उद्देश्य हिंदुओं को बांग्लादेश सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने से रोकना है।

हिंदुओं पर बढ़ते हमले
बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। अन्य धार्मिक संस्थानों के साथ मंदिरों पर भी हमले किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री यूनुस ने इससे पहले समस्याओं को हल करने की घोषणा की थी, लेकिन मौजूदा सरकार के तहत स्थिति और भी खराब हो गई है। आलोचक इस निर्देश को मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन बता रहे है। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से बांग्लादेश में हिंदुओं के बढ़ते अत्याचार पर हस्तक्षेप करने का निवेदन किया गया है।

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