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GBS In Bengal :  पश्चिम बंगाल में GBS सिंड्रोम से तीन मौतें, स्वास्थ्य विभाग ने दी स्थिति पर नियंत्रण की जानकारी

by Rakesh Pandey
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) बीमारी के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग और नागरिकों दोनों को चिंता में डाल दिया है। पिछले चार दिनों में इस बीमारी के कारण तीन लोगों की मौत हो गई है, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है। हालांकि, राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी तक मौत के कारण की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन अधिकारियों ने स्थिति को नियंत्रण में बताते हुए घबराने की कोई आवश्यकता नहीं होने की बात कही है।

मृतकों की पहचान और घटनाएं

पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुई इन मौतों में से तीनों कोलकाता और हुगली जिले के सरकारी अस्पतालों में हुईं। मृतकों में देबकुमार साहू (10), जो उत्तर 24 परगना जिले के जगद्दल क्षेत्र का निवासी था, 26 जनवरी को कोलकाता के बीसी रॉय अस्पताल में इलाज के दौरान मौत के शिकार हो गया। इसके बाद, 17 वर्षीय किशोर अरित्रा मनाल, जो उत्तर 24 परगना के अमदंगा क्षेत्र का निवासी था, 27 जनवरी को कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दम तोड़ गया। तीसरी मौत हुगली जिले के धनियाखली गांव के 48 वर्षीय व्यक्ति की हुई, जिनकी मौत 28 जनवरी को हुगली जिले के अस्पताल में हुई।

इन मौतों के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया कि मृतकों के परिवारों को हर संभव मदद दी जा रही है और वे स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।

GBS सिंड्रोम: क्या है यह बीमारी?

गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक तंत्रिका तंत्र से जुड़ी गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम अपनी ही नसों पर हमला करती है। यह बीमारी आमतौर पर एक वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद उत्पन्न होती है। इसके कारण मरीज को मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द, और कभी-कभी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि यह एक दुर्लभ बीमारी है, इसके मामलों में हाल ही में वृद्धि देखी जा रही है।

स्थिति पर स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस संबंध में बयान जारी करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में GBS सिंड्रोम के मामलों की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “घबराने की कोई बात नहीं है। हम सभी मामलों की गहरी निगरानी कर रहे हैं और संबंधित अस्पतालों को सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।” इसके साथ ही, स्वास्थ्य विभाग ने यह भी कहा कि वह इस बात की जांच कर रहा है कि इन मौतों का GBS से संबंध है या नहीं, और इस मामले में जल्द ही जानकारी साझा की जाएगी।

इसके अलावा, सूत्रों ने बताया कि बीसी रॉय अस्पताल और बाल स्वास्थ्य संस्थान में चार और बच्चों का इलाज किया जा रहा है, जिनमें GBS के लक्षण पाए गए हैं। इन बच्चों का इलाज पूरी तरह से सावधानीपूर्वक किया जा रहा है, और उनकी हालत पर निरंतर नजर रखी जा रही है।

क्या है आगे का प्लान

राज्य में GBS सिंड्रोम के मामलों के बढ़ने के मद्देनज़र, विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि लोगों को बीमारी के प्रति जागरूक किया जाए और समय रहते इलाज शुरू किया जाए। इसके अलावा, राज्य सरकार ने स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को इस बीमारी से संबंधित मामलों पर विशेष निगरानी रखने की सलाह दी है।

स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस बीमारी के बारे में सार्वजनिक जानकारी बढ़ाई जाएगी और लोगों को इसके लक्षणों और उपचार के बारे में अवगत कराया जाएगा। इसके साथ ही, अस्पतालों में पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित किए जाएंगे ताकि अगर और मामले सामने आते हैं तो उन्हें समय पर उपचार मिल सके।

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