Chaibasa (Jharkhand) : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) जिले में गुरुवार को भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और अटूट प्रेम का प्रतीक पर्व ‘भैया दूज’ (यम द्वितीया) पूरे उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। पांच दिवसीय दीपावली महापर्व के समापन पर यह दिन विशेष रूप से भाई-बहनों के लिए समर्पित रहा, जहाँ बहनों ने अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु, सुख-समृद्धि और यमराज के भय से मुक्ति की प्रार्थना की।
बहनों ने भाइयों को शुभ मुहूर्त में किया तिलक
चाईबासा के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सुबह से ही त्योहार का माहौल बन चुका था। हर घर में बहनें पूजा की तैयारियों में जुटी थीं। रंगोली, सजे हुए दीपक और तरह-तरह के पकवानों के साथ बहनों ने अपनी पूजा की थाली तैयार की। पंचांग के अनुसार, शुभ मुहूर्त पर तिलक लगाया। इस मंगलमय बेला में, बहनों ने अपने भाइयों को आसन पर बिठाया और विधिवत पूजा शुरू की। पूजा की थाली में रोली, चावल (अक्षत), सुपारी, फूल, और मिठाई जैसे आवश्यक सामग्री शामिल थे। पौराणिक कथाओं का स्मरण करते हुए, बहनों ने पूर्ण विधि-विधान से भाइयों के मस्तक पर स्नेह का तिलक लगाया। चक्रधरपुर के झुमका मोहल्ला, सरफराज क्वार्टर, शीतला मंदिर जैसे कई स्थानों पर भी बहनों ने सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना कर अपने भाइयों की खुशहाली के लिए कामना की।
उपहारों का आदान-प्रदान और रक्षा का वचन
तिलक की रस्म के दौरान, बहनों ने श्रद्धापूर्वक मंत्रोच्चार करते हुए अपने भाइयों के दीर्घायु जीवन और हर संकट से उनकी रक्षा के लिए यमराज से प्रार्थना की। तिलक के बाद, यह खुशी का इजहार मिठाई खिलाकर किया गया। इस प्रेम और आशीर्वाद के बदले में, भाइयों ने भी अपनी बहनों को उपहार भेंट किए।
उपहारों के साथ, भाइयों ने जीवनभर अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन दिया, जो इस पर्व के महत्व को और बढ़ाता है। चक्रधरपुर में इस पर्व की एक महत्वपूर्ण परंपरा निभाई गई, जहाँ कई भाइयों ने विशेष रूप से अपनी बहनों के घर जाकर उनके हाथों से बना भोजन ग्रहण किया।
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