पटना : बिहार के पंचायतों में काम कर रहे हजारों संविदाकर्मियों के लिए नई व्यवस्था लागू की जा रही है। पंचायती राज विभाग ने घोषणा की है कि मई 2025 से सभी संविदा कर्मियों के लिए बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य कर दी जाएगी। इसके तहत अब कार्यालय में शारीरिक उपस्थिति दर्ज किए बिना किसी भी कर्मचारी को मानदेय का भुगतान नहीं किया जाएगा।
पंचायती राज विभाग को यह फैसला इस कारण लेना पड़ा, क्योंकि लगातार यह शिकायतें मिल रही थीं कि ग्राम कचहरियों में तैनात कई संविदाकर्मी समय पर कार्यालय नहीं पहुंचते हैं या लंबे समय तक गैरहाजिर रहते हैं, जिससे गांव के लोगों के जरूरी कामों में बाधा उत्पन्न होती है। अब बायोमीट्रिक सिस्टम लागू होने के बाद इन कर्मचारियों की उपस्थिति पर निगरानी संभव हो सकेगी।
क्या है नई व्यवस्था
इस नई व्यवस्था के तहत पंचायत कार्यालयों में बायोमीट्रिक मशीनें लगाई जा रही हैं, जिन्हें बी-बैस (B-BASS) सॉफ्टवेयर से एपीआई (API) के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। जैसे ही कोई कर्मचारी हाजिरी लगाएगा, उसका डेटा सीधे सिस्टम में अपलोड हो जाएगा। इसके बाद कोई भी अधिकारी मैन्युअल हस्ताक्षर या उपस्थिति रजिस्टर के आधार पर भुगतान नहीं कर सकेगा।
केवल वही कर्मचारी बिना बायोमीट्रिक हाजिरी के वेतन के पात्र होंगे, जो सरकारी प्रशिक्षण या विभागीय कार्य से बाहर होंगे, और उसकी पूर्व सूचना विभाग को दी गई होगी।
किन कर्मचारियों पर लागू होगा नियम
इस व्यवस्था का असर राज्य भर में कार्यरत लगभग 12,000 संविदा कर्मियों पर पड़ेगा। इनमें शामिल हैं…
ग्राम पंचायत सचिव (करीब 7500)
न्याय मित्र
तकनीकी सहायक
लेखापाल सह आईटी सहायक
आरटीपीएस कार्यालय सहायक
प्रखंड कार्यपालक सहायक
ट्रायल हो रहा है अंतिम चरण में
विभाग के निदेशक आनंद शर्मा ने बताया कि बायोमीट्रिक सिस्टम का ट्रायल इस महीने के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा और मई से पूरे राज्य में इसे अनिवार्य रूप से लागू कर दिया जाएगा। उनका मानना है कि इस कदम से पंचायत कार्यालयों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और अनुशासन आएगा और गांव के लोग समय पर सेवाएं प्राप्त कर सकेंगे।
क्या होगा इसका असर
पंचायत स्तर पर काम की गति बढ़ेगी
लापरवाह कर्मचारियों पर लगाम लगेगी
सरकारी सेवा वितरण में सुधार होगा
मनमानी छुट्टियों और फर्जी उपस्थिति की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी