मृतक के पुत्र का आरोप, स्वास्थ्य विभाग की गड़बड़ी से बीमा क्लेम में हो रही है परेशानी
Patna: बिहार में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली लंबे समय से सवालों के घेरे में है। स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही और गड़बड़ियों के मामले बार-बार सामने आते रहते हैं। अब एक नया मामला सामने आया है, जो सभी को हैरान कर रहा है। यह मामला बिहार के रोहतास जिले के विक्रमगंज थाना क्षेत्र का है, जहां 16 मई 2025 को एक सड़क हादसे में सत्यनारायण गुप्ता नामक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
हादसे में घायल सत्यनारायण गुप्ता का इलाज और मौत
16 मई 2025 की शाम लगभग सात बजे बिक्रमगंज-नटवार रोड स्थित एसडीओ आवास के पास सड़क हादसा हुआ था। घायल सत्यनारायण गुप्ता को उनके पुत्र विजय कुमार गुप्ता उसी दिन रात नौ बजे जमुहार स्थित नारायण मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। इलाज लगभग छह दिन तक चला और 22 मई 2025 की सुबह सत्यनारायण गुप्ता का निधन हो गया।
22 मई को हुआ शव का पोस्टमार्टम, रिपोर्ट में 21 मई की तिथि दर्ज
22 मई 2025 को नारायण मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल जमुहार की पुलिस चौकी ने अनुरोध पत्र के साथ शव को सासाराम सदर अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पोस्टमार्टम 22 मई को किया गया, और मृतक के पुत्र विजय कुमार गुप्ता ने विधिपूर्वक रसीद लेकर शव प्राप्त किया।
लेकिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी किया गया तो उसमें हैरान करने वाली बात सामने आई — रिपोर्ट में पोस्टमार्टम की तारीख 21 मई 2025 दर्ज है, यानी उस दिन जब सत्यनारायण गुप्ता जीवित थे और इलाजरत थे। यह चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब मृतक के पुत्र ने प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत दुर्घटना बीमा का क्लेम किया, और रिपोर्ट में गलत तारीख दर्ज होने के कारण क्लेम में दिक्कतें आने लगीं।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ मामला हुआ दर्ज
मृतक के पुत्र विजय कुमार गुप्ता ने साक्ष्य सहित यह मामला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंचाया है। यह मामला सिविल सर्जन, जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के सचिव से लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय (भारत सरकार) तक गया है।
जब मीडिया ने डीएम उदिता सिंह से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने अवकाश में होने की बात कही। वहीं प्रभारी डीएम (डीडीसी) से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते मृतक के परिवार को अब बीमा क्लेम और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह मामला एक बार फिर बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासन की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में ले आया है।