Home » Bilkis Bano Case : सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस के तीन दोषियों की तरफ से सरेंडर टाइम में रियायत की याचिका ठुकरायी

Bilkis Bano Case : सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस के तीन दोषियों की तरफ से सरेंडर टाइम में रियायत की याचिका ठुकरायी

by The Photon News Desk
Bilkis Bano Case
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

क्राइम डेस्क : बिलकिस बानो केस (Bilkis Bano Case) में तीन दोषियों ने सरेंडर के लिए और वक्त दिए जाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया है। दोषी गोविंद नाई ने अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए 4 हफ्ते, दोषी मितेश भट्ट ने फसल कटाई और रमेश चांदना ने अपने बेटे की शादी का हवाला देते हुए सरेंडर के लिए 6 सप्ताह की मोहलत मांगी थी।

याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों द्वारा दी गई याचिका को खारिज कर दिया है और अब दोषियों को 21 जनवरी तक खुद को सरेंडर करना होगा। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि दोषियों द्वारा व्यक्तिगत कारण दिए गए हैं। इसमें कोई दम नहीं है। मालूम हो कि दोषियों को सरेंडर करने का समय 21 जनवरी को खत्म हो रहा है।

दोषियों ने क्या बताई वजह (Bilkis Bano Case)

बिलकिस बानो गैंगरेप(Bilkis Bano Case) केस के 3 दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें गोविंद नाई ने 4 सप्ताह, जबकि मितेश भट्ट और रमेश चांदना ने 6 सप्ताह में सरेंडर करने की मोहलत मांगी। तीसरे दोषी 58 वर्षीय रमेश रूपाभाई चंदना ने अदालत को बताया कि एंजियोग्राफी के बाद वह दवा ले रहे हैं।

उन्होंने आत्मसमर्पण के लिए 6 सप्ताह की मांग करते हुए कहा कि तुरंत आत्मसमर्पण करने से उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। चंदना ने कहा कि उनकी फसल कटाई के लिए तैयार है और वह परिवार में एकमात्र पुरुष सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि उनकी 86 वर्षीय मां उम्र संबंधी कई बीमारियों से पीड़ित हैं। चंदना ने आत्मसमर्पण करने से पहले अपने लिए “व्यवहार्य व्यवस्था करने के लिए” समय मांगा।

Bilkis Bano Case : SC ने दिया था सरेंडर करने का आदेश

जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि गुजरात सरकार को नहीं, बल्कि महाराष्ट्र सरकार को रिहाई के बारे में फैसला लेने का अधिकार है। अपराध भले ही गुजरात में हुआ हो, लेकिन महाराष्ट्र में ट्रायल चलने के कारण फैसला लेने का अधिकार गुजरात सरकार के पास नहीं है। कोर्ट ने सभी दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने का आदेश दिया था।

READ ALSO : ओडिशा: बारिपदा शहर में दौड़ता दिखा जंगली हाथी, छह घंटे तक घरों में दुबके रहे लोग

Related Articles