सेंट्रल डेस्क: BPSC 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाते हुए परीक्षा रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि परीक्षा में कथित गड़बड़ियों का कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट रुख: सिर्फ आरोप नहीं, प्रमाण चाहिए
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल अटकलों और आरोपों के आधार पर किसी सार्वजनिक सेवा आयोग की वैध परीक्षा प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता परीक्षा में अनियमितता का कोई विश्वसनीय दस्तावेज़ी साक्ष्य पेश करने में असफल रहे।
पटना हाईकोर्ट भी कर चुका था याचिकाएं खारिज
इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने भी BPSC 70वीं परीक्षा से संबंधित सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। हालांकि, सर्वोच्च अदालत से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
बड़े वकील भी नहीं पेश कर पाए ठोस सबूत
याचिका दाखिल करने वालों की ओर से कई वरिष्ठ अधिवक्ता अदालत में पेश हुए, लेकिन वे गंभीर गड़बड़ी साबित करने में विफल रहे। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “इस प्रकार की निराधार याचिकाएं न केवल प्रक्रिया को बाधित करती हैं, बल्कि लाखों अभ्यर्थियों की मेहनत और समय का भी अपमान करती हैं।”
अब आगे क्या?
इस निर्णय के बाद BPSC की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा वैध घोषित हो चुकी है और अब आयोग मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार प्रक्रिया को लेकर आगे बढ़ सकेगा। परीक्षा से जुड़ी किसी भी कानूनी बाधा को अब समाप्त मान लिया गया है।
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