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CBI Bribery Scandal Exposed : रेलवे के इंजीनियर सहित 4 लोगों को CBI ने किया गिरफ्तार, जानिए क्या है मामला

सीबीआई को यह जानकारी मिली थी कि रेलवे में अंडरब्रिज और ओवरब्रिज के ठेके में पैसे लेकर एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाया जा रहा है। इसी जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई की गई।

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली : सीबीआई ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी से रिश्वत लेने के आरोप में एक चीफ इंजीनियर सहित चार लोगों की गिरफ्तारी की है। यह गिरफ्तारी रांची और छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में छापेमारी के बाद की गई। इस मामले में चीफ इंजीनियर विशाल आनंद के भाई के पास से भी 32 लाख रुपये सीबीआई ने बरामद किए। रिश्वत के पैसे का लेनदेन करने के दौरान रंगे हाथों यह गिरफ्तारी की गई।

करोड़ों का ठेका दिलाने के बदले मांगे थे पैसे

झाझरिया कंस्ट्रक्शन लिमिटेड कंपनी के मालिक से रिश्वत लेने के मामले में शुक्रवार को सीबीआई ने चीफ इंजीनियर के साथ-साथ अन्य चार लोगों की गिरफ्तारी की। इसके लिए रांची और छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में छापेमारी की गई थी। चीफ इंजीनियर विशाल आनंद ने झाझरिया कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के एमडी सुशील झाझरिया को रेलवे के करोड़ों का ठेका दिलाने के एवज में 32 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। यह रकम सीबीआई ने चीफ इंजीनियर के भाई के पास से बरामद की है।

इंजीनियर का भाई पहुंचा था रिश्वत लेने

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के चीफ इंजीनियर विशाल आनंद सहित जिन चार लोगों की गिरफ्तारी हुई है, उनमें चीफ इंजीनियर का भाई कुणाल और कंस्ट्रक्शन कंपनी झाझरिया निर्माण लिमिटेड के एमडी सुशील झाझरिया सहित कंपनी का एक कर्मचारी मनोज पाठक भी शामिल है। विशाल आनंद का भाई कुणाल रिश्वत के पैसे लेने पहुंचा था। वहीं दूसरी तरफ एमडी सुशील झाझरिया की तरफ से कंपनी का कर्मचारी मनोज पाठक रिश्वत के पैसे सौंपने गया था।

कंपनी के कर्मचारी को देकर भेजे थे, रिश्वत के पैसे

चीफ इंजीनियर ने रेलवे के करोड़ों का ठेका दिलाने के बदले झाझरिया कंपनी के एमडी से 32 लाख रुपये रिश्वत के तौर पर मांगे थे। 21 अप्रैल को यह डील फाइनल हुई थी। कंपनी के एमडी झाझरिया ने अपने कर्मचारी मनोज पाठक को यह रकम देकर रांची भेजा था। रिश्वत के पैसे देते ही सीबीआई की टीम ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। इसके साथ ही 32 लाख रुपये की बरामदगी की। इसके बाद विशाल और सुशील झाझरिया की भी गिरफ्तारी की गई।

सूचना मिलने पर सक्रिय हुई थी सीबीआई

दरअसल, सीबीआई को यह जानकारी मिली थी कि रेलवे में अंडरब्रिज और ओवरब्रिज के ठेके में पैसे लेकर एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाया जा रहा है। इस जानकारी के मिलने के बाद से ही सीबीआई सक्रिय हो गई थी। गुपचुप तरीके से छापेमारी के लिए सही समय का इंतजार किया जा रहा था।

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