नयी दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने कथित अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाला मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की है। इस ‘घोटाले’ में छात्रवृत्ति योजना के तहत 830 फर्जी संस्थानों ने लाभ उठाया, जिसके परिणामस्वरूप 2017-22 के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को लगभग 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी के लिए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत बैंकों, संस्थानों व अन्य संस्थानों के अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
संदिग्ध संस्थानों पर मंत्रालय की नजर
प्राथमिकी का हिस्सा बनी मंत्रालय की शिकायत में कहा गया है, छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत धन के गबन पर प्राप्त अलग-अलग रिपोर्ट पर विचार करते हुए मंत्रालय ने छात्रवृत्ति योजनाओं के मूल्यांकन के लिए नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) को तीसरे पक्ष के रूप में नियुक्त किया है।
इसके अलावा मंत्रालय ने संदिग्ध संस्थानों व आवेदकों पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) के माध्यम से भी मूल्यांकन किया है।
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असम के सबसे ज्यादा फर्जी संस्थानों ने उठाया लाभ
प्राथमिकी के मुताबिक, एनएसपी पर संदेह के घेरे में आए कुल 1,572 संस्थानों की मूल्यांकन के लिए पहचान की गई थी। प्राथमिकी में कहा गया कि 21 राज्यों के 1,572 संस्थानों में से 830 संस्थान या तो चल नहीं रहे था या पूर्णरूपेण फर्जी थे या फिर आंशिक रूप से फर्जी पाए गए हैं।प्राथमिकी के मुताबिक, इस तरह के संस्थानों की सबसे ज्यादा संख्या असम (225), कर्नाटक (162), उत्तर प्रदेश (154) और राजस्थान (99) में थी।