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2025 में होगी जनगणना, संप्रदाय का कॉलम भी हो सकता है अलग से

जनगणना का क्रम भी बदला जा रहा है, इस हिसाब से अब 2025 में जनगणना होने के बाद 2035 और फिर 2045, 2055, 2065 में जनगणना होगी।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्कः प्रत्येक 10 साल में होने वाली जनगणना को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक 2025 में जनगणना की शुरुआत होगी, जो तकरीबन एक साल तक यानि 2026 चलेगी।

बदलने वाला है जनगणना का क्रम

बता दें कि अब तक हर 10 साल में होने वाली जनगणना दशक के शुरुआत में होती आई थी। जैसे 1991, 2001, 2011, इसी क्रम में जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण जनगणना को टाल दी गई। इसके बाद अब जनगणना का क्रम भी बदला जा रहा है, इस हिसाब से अब 2025 में जनगणना होने के बाद 2035 और फिर 2045, 2055, 2065 में जनगणना होगी।

आम जनगणना लोक सभा सीटों के परिसीमन जनगणना पूरी होने के बाद शुरू होने के कयास है। परिसीमन प्रक्रिया 2028 तक पूरी होने की संभावना है। गौरतलब है कि कई विपक्षी पार्टियां चाहती है कि जातिगत जनगणना की जाए। लेकिन सरकार ने अभी इस बारे में कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

जातिगत जनगणना पर सरकार कर रही विचार

अब तक हुए जनगणना सरकार के प्रतिनिधि धर्म और वर्ग पूछते आए है। साथ ही सामान्य, अनुसूचित जाति और जनजाति की गणना होती आई है। लेकिन खबरों के अनुसार, इस बार लोगों से यह भी पूछा जा सकता है कि वे किस संप्रदाय के अनुयायी हैं अर्थात् किस धर्म को मानते है। इसे एक उदाहरण के तौर पर समझा जा सकता है। कर्नाटक में सामान्य वर्ग में आने वाले लिंगायत स्वयं को अलग संप्रदाय के मानते हैं। इसी प्रकार अनुसूचित जाति में वाल्मीकि, रविदासी, जैसे अलग-अलग संप्रदाय हैं, यानि धर्म, वर्ग के साथ-साथ संप्रदाय के आधार पर भी जनगणना की मांग पर सरकार विचार कर रही है।

एनडीए में न आ जाए दरार

केंद्र सरकार द्वारा अब तक जनगणना के साथ जातिगत जनगणना कराने को लेकर कोई भी औपचारिक बयान नहीं आया है। लेकिन विपक्ष की बढ़ती मांग और जातिगत जनगणना को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश को देखते हुए मोदी सरकार इशकी हामी भर सकती है। क्योंकि सरकार ऐसा कभी नहीं चाहेगी कि इस मुद्दे की वजह से NDA में कोई मतभेद हो। साथ ही ऐसा करने से सभी धर्मों की आबादी में मौजूद जाति व्यवस्था की जड़ों का भी पता चल सकेगा। फिर अगर आरक्षण सहित किसी भी सुविधा के लिए कोई विशेष योजना चलानी हो तो सरकार के लिए आसान हो जाएगा।

कब हुई थी पहली बार जनगणना

भारत में पहली बार जनगणना 1872 में की गई थी। गवर्नर-जनरल लॉर्ड मेयो के शासन काल के दौरान 1881 में भारत की पहली संपूर्ण जनगणना हुई। जिसके आयुक्त डब्ल्यू.सी. प्लोडेन को बनाया गया था। इसके बाद यह हर 10 साल में 1 बार होता आया है। हालांकि, कई बार विशेष परिस्थिति में इसमें गैप भी हुआ है। स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना 1951 में हुई थी। इसके बाद भारत में छह बार जनगणना हो चुकी है- 1951,1961,1971,1981,1991, 2001, 2011.

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