Chaibasa : झारखंड के चक्रधरपुर में रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। नक्सली धमाकों में 58 वर्षीय ट्रैकमैन एतवा ओराम की मौत और एक अन्य रेलकर्मी के घायल होने की घटना (Chaibasa Naxal Band) ने रेल प्रशासन की संवेदनहीनता और लापरवाही को उजागर कर दिया है। 13 घंटे में तीन धमाके हुए, लेकिन अधिकारी नदारद रहे।
रेलवे प्रशासन की लापरवाही से गई ट्रैकमैन की जान
चक्रधरपुर रेल मंडल में करमपदा-बिमलगढ़ सेक्शन के बीच रविवार को महज 13 घंटे में तीन बम धमाके हुए। इसमें सबसे दर्दनाक हादसा तब हुआ जब ट्रैकमैन एतवा ओराम और बुधराम मुंडा को जंगल में पेट्रोलिंग के लिए भेजा गया। नक्सली बंद की पूर्व सूचना के बावजूद आरपीएफ या डॉग स्क्वॉड की तैनाती नहीं की गई। पेट्रोलिंग के दौरान हुए विस्फोट में एतवा की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बुधराम गंभीर रूप से घायल हो गया।
Chaibasa Naxal Band : धमाके के 500 मीटर दूर था सीआरपीएफ कैंप, फिर भी मदद नहीं
जिस स्थान पर धमाका हुआ, वह सीआरपीएफ कैंप से मात्र 500 मीटर दूर था, लेकिन न तो समय पर कोई मदद पहुंची और न ही अधिकारी मौके पर पहुंचे। इससे न केवल सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता पर सवाल खड़े होते हैं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे जमीनी स्तर के कर्मचारियों को असुरक्षित हालात में छोड़ दिया जाता है।
रनिंग रूम में कैद हुए रेलकर्मी, नेटवर्क भी ठप
करमपदा स्टेशन के रनिंग रूम में रेलकर्मी दहशत के मारे बंद होकर रह गए हैं। इलाके में नेटवर्क ठप हो जाने से वे अपने परिवार से भी संपर्क नहीं कर पा रहे। हालात इतने बदतर हैं कि एक कर्मचारी की मौत के घंटों बाद भी कोई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।
अफसर सुरक्षित, रेलकर्मी खतरे में : मेंस कांग्रेस
रेलवे मेंस कांग्रेस के मंडल संयोजक शशि मिश्रा ने कहा, “जब अफसर खुद सुरक्षित दफ्तरों में बैठे रहते हैं, तो उनसे यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वे ग्राउंड पर उतरें? आम रेलकर्मी की जान इतनी सस्ती नहीं हो सकती।”
सीनियर डीसीएम आदित्य चौधरी ने एक रेलकर्मी की मौत की पुष्टि की है, जबकि ओडिशा के सीएम मोहन माझी ने मृतक के परिवार को ₹10 लाख की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।
Chaibasa Naxal Band : क्या अब भी नहीं जागेगा रेल प्रशासन?
झारखंड में नक्सल प्रभावित इलाकों में रेल परिचालन पहले ही जोखिम भरा माना जाता है। इसके बावजूद बिना सुरक्षा प्रबंध के कर्मचारियों को पेट्रोलिंग पर भेजना अमानवीय कृत्य है। अब वक्त आ गया है कि रेलवे प्रशासन, RPF और सुरक्षा एजेंसियां अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लें और ऐसे क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करें।