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Chaibasa: विचार-विमर्श में आए तमाम सुझावों को समेटते हुए पेसा कानून में उसे समाहित किया जाएगा : के राजू

ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री दीपिका पाण्डेय सिंह ने कहा कि हमने सभी की चिंता को सुना। उनके सुझावों के साथ, राज्य में पेसा कानून के लिए एक मजबूत मसौदा तैयार किया जाएगा।

by Anurag Ranjan
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चाईबासा : अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून पर कोल्हान प्रमंडल के मानकी- मुंडा , माझी- परगना तथा विभिन्न सामाजिक संगठनोंके साथ कांग्रेस प्रदेश प्रभारी के राजू , ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री दीपिका पाण्डेय सिंह तथा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने चाईबासा स्थित परिसदन में विचार-विमर्श किया। अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार को आमतौर पर पेसा कानून के रूप में जाना जाता है। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के अधिकारों को मान्यता देने वाला पेसा कानून लागू किया गया था। राज्य में अभी इस कानून को लागू किया जाना है। कांग्रेस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में झारखंड पंचायत प्रावधान अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार नियम के मसौदे पर चर्चा की गई।

कांग्रेस प्रभारी के राजू ने कहा कि राज्य सरकार जन भावनाओं के अनुरूप झारखंड में कानून को लागू करने का हर संभव प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि जिन्होंने मसौदे पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उनके सुझावों को अंतिम मसौदे में शामिल किया जाएगा।

ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री दीपिका पाण्डेय सिंह ने कहा कि हमने सभी की चिंता को सुना। उनके सुझावों के साथ, राज्य में पेसा कानून के लिए एक मजबूत मसौदा तैयार किया जाएगा।

आज जब पेसा कानून पर राज्य में गंभीर चर्चा हो रही है तब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उस कथन को याद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा था देश विकास कर रहा है और आगे भी करता रहेगा, लेकिन परंपरा, सभ्यता और संस्कृति धूमिल हो गई, तो इस विकास का कोई फायदा नहीं होगा। आदिवासी समाज के विकास के लिए बजट का प्रावधान होता है, लेकिन उस पैसे का सही उपयोग हो ये सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में दिलीप सिंह भूरिया समिति की रिपोर्ट को अध्ययन करने की जरूरत है।

राज्य सरकार और ग्राम सभा के बीच बेहतर समन्वय बनाना होगा। किसका क्या अधिकार हो ये भी सुनिश्चित करना होगा। पांचवीं अनुसूची वाले राज्यों में आदिवासी समाज के संरक्षण के लिए पहले से कानून के प्रावधान हैं। इस कानून में आदिवासी और मूलवासी के संरक्षण को तय किया गया है। आदिवासी समाज में सामूहिकता की भावना होती है। आज जरूरत है तो अपने दायित्व और जिम्मेदारी को समझने की।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा कि संगठन ने बेहतर पहल की है और इस पहल का परिणाम भी बेहतर होगा। विचार-विमर्श में आए तमाम सुझाव को समेटते हुए पेसा कानून में उसे समाहित किया जाएगा। झारखंड में आदिवासी मूलवासी की भावनाओं के अनुरूप पेसा कानून को अंतिम रूप सरकार देगी। मुझे उम्मीद है कि इन विचार- विमर्श से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। विचार – विमर्श का संचालन आदिवासी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जोसाई मार्डी ने किया ।

मौके पर विधायक डॉ रामेश्वर उरांव , पूर्व विधायक देवेन्द्र नाथ चांपिया , पूर्व मेयर रमा खलखो , कांग्रेस जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर दास , आनंद बिहारी दुबे , पेसा ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य सुधीर पाल , सुनीत शर्मा , विजय खां , अशोक चौधरी , डॉ० परितोष सिंह , रियाजुल अंसारी , रंजन बोयपाई , अशरफुल होदा , दीनबंधु बोयपाई , सन्नी सिंकु , देवराज चातर , रितेश तामसोय , सौरभ अग्रवाल , त्रिशानु राय , कैरा बिरुवा , संजय कुमार , नालिनी सिन्हा , अविनाश कोड़ाह , अशोक बारीक , पुरुषोत्तम दास पान , सीताराम गोप , चंद्र भूषण बिरुवा , मो०सलीम , सनातन बिरुवा , डॉ० क्रांति प्रकाश , रवि कच्छप , मेवालाल होनहागा , सुभाष राम तुरी , अमृत मांझी , शैली शैलेन्द्र सिंकु , ब्रज मोहन देवगम आदि मौजूद थे।

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