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Saranda Displacement Protest : सारंडा विस्थापन और DMFT भ्रष्टाचार पर गरमाई राजनीति, भारत आदिवासी पार्टी का झारखंड सरकार पर अनदेखी का आरोप; 11 नवंबर को चाईबासा में धरना-प्रदर्शन

Jharkhand news Hindi: 40 से अधिक वनग्रामों को अभयारण्य क्षेत्र से बाहर रखने की मांग, सरकार पर भ्रम फैलाने का आरोप

by Geetanjali Adhikari
Saranda Displacement Protest
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Chaibasa (Jharkhand) : भारत आदिवासी पार्टी (BAP) की पश्चिम सिंहभूम (चाईबासा) इकाई ने झारखंड सरकार पर सारंडा क्षेत्र के वनग्रामों में बसे आदिवासियों की अनदेखी का गंभीर आरोप लगाया है। पार्टी ने बुधवार को जुबिली तालाब के कैफेटेरिया परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य सरकार सारंडा के 40 से अधिक वनग्रामों को अभयारण्य क्षेत्र से बचाने में पूरी तरह विफल रही है, जिससे वहाँ के निवासियों में विस्थापन की आशंका गहराने लगी है।

पार्टी नेताओं ने सरकार की दोहरी नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ओर सरकार सर्वोच्च न्यायालय में सारंडा को अभयारण्य घोषित करने के पक्ष में हलफनामा दाखिल करती है और कैबिनेट से इसकी स्वीकृति भी देती है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों को विस्थापन के भय और भ्रम में डाल रही है। पार्टी की स्पष्ट मांग है कि जिस प्रकार खनन क्षेत्र को अभयारण्य से मुक्त रखा गया है, उसी प्रकार सारंडा के 40 वनग्रामों को भी अभयारण्य क्षेत्र से बाहर रखा जाए।

जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ होगा प्रदर्शन

पार्टी के जिला उपाध्यक्ष तुरी सुंडी ने जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) मद में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त होने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जल जीवन मिशन के तहत बने कई जलमीनार वर्षों से अधूरे पड़े हैं, जिससे जनता को उनका लाभ नहीं मिल रहा है। सुंडी ने डीएमएफटी कोष की उच्च स्तरीय जांच की मांग की।

जिला महासचिव कोलंबस हांसदा ने दो टूक शब्दों में कहा कि भारत आदिवासी पार्टी भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी। पार्टी नेताओं ने घोषणा की कि सारंडा वन क्षेत्र में बसे आदिवासियों के विस्थापन की आशंका, डीएमएफटी में व्याप्त भ्रष्टाचार और जिला स्तर पर अन्य अनियमितताओं के विरोध में पार्टी आगामी 11 नवंबर को जिला मुख्यालय में एक एकदिवसीय धरना-प्रदर्शन करेगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिला सचिव शांतिएल कांद्याबुरू, चंद्रशेखर मुंडा, मोरन सिंह देवगम, सनातन सवैया और हरिश बालमुचु उपस्थित थे।

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