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Chaitra Navratri 2025 : जानें कलश स्थापना, मुहूर्त और नवरात्रि का पूरा कैलेंडर

पहला मुहूर्त : 30 मार्च 2025, सुबह 06:13 मिनट से 10:22 मिनट तक

by Rakesh Pandey
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फीचर डेस्क : हिंदू धर्म में नवरात्रि या नवरात्र का अत्यधिक महत्व है, जो देवी दुर्गा की पूजा का एक प्रमुख पर्व है। चैत्र नवरात्रि विशेष रूप से वसंत ऋतु में मनाई जाती है और इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो रही है। यह नवरात्रि 9 दिनों तक चलती है, जिसमें माता दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान कलश स्थापना की जाती है और व्रत रखकर साधक मां दुर्गा की आराधना करते हैं। आइए जानते हैं इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का महत्व, कलश स्थापना का मुहूर्त और नवरात्रि कैलेंडर।

चैत्र नवरात्रि 2025 का महत्व

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या प्रथम तिथि से नवरात्रि का आरंभ होता है और यह नवमी तिथि तक चलती है। इस दौरान विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री के रूप में मां की पूजा की जाती है। इस दौरान श्रद्धालु व्रत रखते हैं, वचनबद्धता के साथ साधना करते हैं और विशेष रूप से अष्टमी और नवमी तिथि को छोटी कन्याओं को भोजन कराते हुए उनकी पूजा करते हैं।

चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथियां और मुहूर्त

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च 2025 से हो रही है और यह 8 अप्रैल तक चलेगी। आइए जानते हैं इस बार के चैत्र नवरात्रि के मुहूर्त और महत्वपूर्ण तिथियां:

चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ : 29 मार्च 2025, शाम 4 बजकर 27 मिनट से

चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त : 30 मार्च 2025, दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 2025:

पहला मुहूर्त : 30 मार्च 2025, सुबह 06:13 मिनट से 10:22 मिनट तक

दूसरा अभिजीत मुहूर्त : 30 मार्च 2025, दोपहर 12:01 मिनट से 12:50 मिनट तक

नवरात्रि पूजन विधि

नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से कलश स्थापना की जाती है, जो इस दिन का प्रमुख कार्य होता है। श्रद्धालु घर में एक कलश स्थापित करते हैं और उसे गंगाजल से भरकर पूजन सामग्री के साथ सजाते हैं। इसके बाद पूरे नवरात्रि में उपवास रखते हुए देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है और मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा विधिपूर्वक की जाती है।

अष्टमी और नवमी तिथि की विशेष पूजा

अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष रूप से कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें छोटे कन्याओं को भोजन कराया जाता है और उन्हें श्रद्धा भाव से उपहार दिए जाते हैं। इसे दुर्गा पूजा का अहम हिस्सा माना जाता है और इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है।

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