Chakradharpur (Jharkhand) : दक्षिण-पूर्व रेलवे का चक्रधरपुर रेल मंडल जहां आमदनी के मामले में भारतीय रेलवे में शीर्ष पर है, वहीं यात्री सुविधाओं के मामले में स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। मंगलवार को इसका एक ताजा उदाहरण सामने आया, जब डीआरएम तरुण हुरिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंडल की बेहतर व्यवस्था और सुविधाओं का बखान कर रहे थे, उसी वक्त यात्रियों की परेशानी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
यात्रियों का वीडियो वायरल, रेल प्रशासन पर उठे सवाल
वायरल वीडियो राउरकेला-टाटानगर मेमू पैसेंजर ट्रेन का बताया जा रहा है। इसमें यात्रियों को ट्रेन की लगातार देरी से तंग होकर बीच रास्ते में उतरकर पैदल जाते हुए देखा गया। बताया गया कि ट्रेन के आगे एक मालगाड़ी खड़ी थी, जिसके कारण घंटों तक ट्रेन रुकी रही। यात्रियों का आरोप है कि चक्रधरपुर मंडल में पैसेंजर ट्रेनों की लेटलतीफी आम बात हो गई है और रेल प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।
यात्रियों का आरोप: मालगाड़ियों पर सारा ध्यान, यात्री ट्रेनें उपेक्षित
स्थानीय यात्रियों ने बताया कि मंडल का पूरा फोकस मालगाड़ियों के संचालन पर है, जिससे यात्री ट्रेनों के समय पर संचालन की अनदेखी की जा रही है। उनका कहना है कि एक ट्रेन को लेट कर दूसरी को समय पर चलाने का तर्क बिल्कुल असंगत है। यात्रियों का यह भी कहना है कि ट्रेनों की देरी से उन्हें न सिर्फ आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
रेलवे के अधिकारियों ने दी सफाई, यात्रियों ने बताया गैर-जिम्मेदाराना
जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में अधिकारियों से इस वायरल वीडियो को लेकर सवाल पूछा गया, तो उनका जवाब था कि त्योहारों के सीजन में एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन पर प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे मेमू और पैसेंजर ट्रेनें विलंबित हो रही हैं। यात्रियों ने इस बयान को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि रेलवे को ऐसे दस्तावेज तैयार करने चाहिए, जिनमें ट्रेन के विलंब से यात्रियों को हुए नुकसान का दैनिक आंकलन हो, ताकि रेलवे को अपनी लापरवाही का वास्तविक आकलन मिल सके।
यात्रियों की मांग-समयबद्ध संचालन और जवाबदेही तय हो
यात्रियों ने रेलवे से मांग की है कि चक्रधरपुर रेल मंडल में पैसेंजर ट्रेनों के समयबद्ध संचालन के लिए सख्त व्यवस्था बनाई जाए और अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। साथ ही यात्रियों के हित में सुधारात्मक कदम उठाए जाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।


