बेंगलुरु : चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित/ भारत का महत्वाकांक्षी मिशन ‘चंद्रयान-3’ शनिवार को चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी दी। बेंगलुरु मुख्यालय वाली राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक ट्वीट में कहा कि आवश्यक प्रक्रिया यहां इसरो केंद्र से की गयी। इसरो ने एक ट्वीट में कहा कि चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है। मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स), आईएसटीआरएसी (इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क), बेंगलुरु से इसे बढ़ाने का कमान दिया गया।
इसरो ने कहा कि अगला ऑपरेशन कक्षा घटाने का कार्य रविवार रात 11 बजे किया जायेगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने उपग्रह से अपने केंद्रों को एक संदेश भी साझा किया, जिसमें लिखा था, एमओएक्स, आईएसटीआरएसी, यह चंद्रयान-3 है। मैं चंद्र गुरुत्वाकर्षण महसूस कर रहा हूं।
इसरो के सूत्रों के अनुसार, उपग्रह को चंद्रमा के करीब लाने के लिए चार और प्रक्रिया होगी, जो 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा है।
Chandrayaan-3 Mission update:
The spacecraft’s health is normal.The first orbit-raising maneuver (Earthbound firing-1) is successfully performed at ISTRAC/ISRO, Bengaluru.
Spacecraft is now in 41762 km x 173 km orbit. pic.twitter.com/4gCcRfmYb4
— ISRO (@isro) July 15, 2023
Chandrayaan-3
ने चंद्रमा की बाहरी कक्षा पकड़ ली है। अब चंद्रयान-3 चंद्रमा के चारों तरफ 166 km x 18054 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में चक्कर लगायेगा। इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ने के लिए करीब 20 से 25 मिनट तक थ्रस्टर्स ऑन रखा।
इसी के साथ चंद्रयान चंद्रमा की ग्रैविटी में फंस गया। अब वह उसके चारों तरफ चक्कर लगाता रहेगा. इसे लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन या इंसर्शन (Lunar Orbit Injection or Insertion – LOI) भी कहते हैं। चंद्रमा के चारों तरफ पांच ऑर्बिट बदले जायेंगे। आज के बाद 6 अगस्त की रात 11 बजे के आसपास चंद्रयान की ऑर्बिट को 10 से 12 हजार किलोमीटर वाली ऑर्बिट में डाला जायेगा। 9 अगस्त की दोपहर पौने दो बजे करीब इसके ऑर्बिट को बदलकर 4 से 5 हजार किलोमीटर की ऑर्बिट में डाला जायेगा।
READ ALSO : AI क्या है? क्यों है पूरी दुनिया में चर्चा? जानें AI के इस्तेमाल से क्या होगा नुकसान?