Martyr Nirmal Mahato : रांची: झारखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी नेता और शहीद निर्मल महतो (Martyr Nirmal Mahato) को उनकी शहादत दिवस पर आज पूरे राज्य में श्रद्धापूर्वक याद किया जा रहा है। इसी कड़ी में, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। सीएम का यह संदेश न सिर्फ एक श्रद्धांजलि है, बल्कि राज्य के इतिहास और संघर्षों को वर्तमान पीढ़ी के सामने रखने का एक महत्वपूर्ण प्रयास भी है।
मुख्यमंत्री का भावुक संदेश: “वीर माटी पुत्र” को नमन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट (social media account) पर एक भावुक पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने शहीद निर्मल महतो को ‘वीर माटी पुत्र’ और ‘महान झारखंड आंदोलनकारी’ कहकर संबोधित किया। उन्होंने लिखा, “वीरों और क्रांतिकारियों की वीर भूमि है हमारा झारखण्ड! इसी वीर भूमि के वीर माटी पुत्र, महान झारखण्ड आंदोलनकारी, अमर वीर शहीद निर्मल महतो जी के शहादत दिवस पर शत-शत नमन।” मुख्यमंत्री ने अपने संदेश का समापन “वीर शहीद निर्मल महतो अमर रहें! झारखण्ड के वीर अमर रहें!” के नारों के साथ किया। यह संदेश झारखंड के उन तमाम नायकों के प्रति सम्मान प्रकट करता है, जिन्होंने राज्य के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। मुख्यमंत्री के इस पोस्ट को जनता द्वारा व्यापक रूप से सराहा जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि आज भी निर्मल महतो की विरासत लोगों के दिलों में जीवित है।
झारखंड आंदोलन में निर्मल महतो की अमिट भूमिका
शहीद निर्मल महतो का नाम झारखंड आंदोलन के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है। उनका जन्म 25 दिसंबर 1950 को हुआ था और उन्होंने अपने जीवन के शुरुआती दिनों से ही झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया था। वे उन दूरदर्शी नेताओं में से थे जिन्होंने यह महसूस किया कि अलग राज्य का सपना तभी पूरा हो सकता है जब आंदोलन को एक मजबूत राजनीतिक और सामाजिक आधार मिले। इसी सोच के साथ उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसे एक सशक्त संगठन बनाया।
निर्मल महतो के नेतृत्व में झारखंड आंदोलन ने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया था। उनकी संगठनात्मक क्षमता, बेबाक भाषण और जमीनी स्तर पर काम करने की प्रवृत्ति ने हजारों युवाओं को आंदोलन से जोड़ा। उनका मानना था कि झारखंड का असली विकास तभी होगा जब यहां के प्राकृतिक संसाधनों पर यहां के मूल निवासियों का अधिकार होगा। उन्होंने समाज के वंचित और शोषित वर्गों को एक साथ लाने का काम किया, जिससे आंदोलन को एक नई ऊर्जा मिली।
शहादत और उनकी अमर विरासत
8 अगस्त 1987 को निर्मल महतो की हत्या ने पूरे झारखंड को हिला कर रख दिया था। हालांकि, उनकी शहादत ने आंदोलन को कमजोर करने की बजाय उसे और भी मजबूत किया। उनके बलिदान ने अलग राज्य की मांग को एक भावनात्मक और नैतिक बल दिया, जिसका परिणाम अंततः 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य की स्थापना के रूप में सामने आया। आज भी शहीद निर्मल महतो की विरासत जीवित है। उनके नाम पर झारखंड में कई संस्थान और स्मारक हैं। धनबाद में स्थित शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) उनकी स्मृति को बनाए रखे हुए है, जो स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से जनता की सेवा कर रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें याद करना यह दर्शाता है कि वर्तमान सरकार झारखंड आंदोलन के नायकों को सर्वोच्च सम्मान देती है और उनके आदर्शों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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