खूंटी, झारखंड : खूंटी जिले के सिमडेगा-खूंटी मुख्य पथ पर स्थित पेलोल गांव के पास बनई नदी पर बना पुल 19 जून 2025 को भारी बारिश के कारण टूट गया। पुल टूटने के बाद से क्षेत्र के ग्रामीणों, विशेषकर स्कूली बच्चों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन द्वारा अब तक किसी प्रकार की तात्कालिक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे सुनगी, रोड़ो, अंगराबारी, बिचना, जापूत और गम्हरिया जैसे गांवों के 150 से अधिक बच्चे रोज नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं।
Khunti Rain Bridge Collapse : पीठ पर लादकर नदी पार करा रहे अभिभावक, खतरे में जान
स्कूली समय में नदी पार करते हुए अभिभावक अपने बच्चों को पीठ पर उठाकर नदी की तेज धार और घुटने तक बहते पानी से गुजर रहे हैं। यह दृश्य न केवल मानवीय संकट को दर्शाता है, बल्कि प्रशासनिक विफलता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि प्रशासन द्वारा सुझाया गया वैकल्पिक मार्ग 12 से 50 किलोमीटर लंबा है, जो रोजाना स्कूल पहुंचने के लिहाज से अव्यवहारिक और असुरक्षित है।
बांस की सीढ़ी भी हटी, संकट और बढ़ा
पुल टूटने के बाद ग्रामीणों ने बांस की सीढ़ी लगाकर अस्थायी आवागमन शुरू किया था। लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए वह सीढ़ी भी हटा दी। इससे बच्चों और ग्रामीणों की परेशानियां और बढ़ गई हैं। अब लोग मजबूरी में फिर से नदी पार करने को विवश हैं, जो कि जानलेवा साबित हो सकता है।
Khunti Rain Bridge Collapse : प्रशासन की अपील, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और
जिले के प्रभारी एसडीओ अरविंद कुमार ओझा ने मुरहू और तोरपा अंचल के अधिकारियों को निर्देश दिया कि कोई भी व्यक्ति नदी पार न करे। जवानों की तैनाती भी की गई, लेकिन ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि वैकल्पिक मार्ग लंबा और अनुपयोगी है, इसलिए उनके पास कोई और विकल्प नहीं है। एसडीओ ने अपील की है कि अभिभावक बच्चों को नदी पार न कराएं और प्रशासन द्वारा चिह्नित वैकल्पिक मार्ग का ही उपयोग करें।
डायवर्सन निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ
प्रशासन ने अब टूटे पुल के समानांतर डायवर्सन निर्माण की योजना शुरू की है। पथ निर्माण विभाग के अधिकारी विभागीय प्रक्रिया में लगे हुए हैं और प्रशासन का दावा है कि जल्द ही डायवर्सन तैयार कर लिया जाएगा। लेकिन, स्थानीय लोगों का कहना है कि तत्काल व्यवस्था आवश्यक है, क्योंकि बारिश का दौर जारी है और बच्चों की जान जोखिम में बनी हुई है।
ग्रामीणों की मांग : तुरंत हस्तक्षेप करें अधिकारी और मुख्यमंत्री
जामटोली, हेसल, पेलोल, माहिल, बांधटोली और जुरदाग जैसे गांवों के लोग इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित हैं। सामाजिक कार्यकर्ता दीपक बिरुवा ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि बच्चों की जान जोखिम में है और प्रशासन की निष्क्रियता चिंताजनक है।