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केरल में सौतेले पिता की हैवानियत: 141 साल की सजा और 7.85 लाख का जुर्माना

पीड़िता ने अपनी सहेली और मां को इस घटना के बारे में बताया। मां ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन पीड़िता की मां को भी सह-आरोपी बना दिया गया।

by Rakesh Pandey
Ameesha Patel court
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केरल: एक दिल दहला देने वाले घटनाक्रम में केरल की एक अदालत ने 12 वर्षीय मासूम से बार-बार दुष्कर्म करने के जुर्म में उसके सौतेले पिता को 141 साल की सजा और 7.85 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह सजा सुनकर पूरे देश में सनसनी फैल गई है।

क्या है पूरा मामला?

दोषी और पीड़िता दोनों तमिलनाडु के रहने वाले हैं। यह परिवार कुछ साल पहले रोजगार की तलाश में केरल के मलप्पुरम जिले में आया था और यहां किराए के मकान में रहता था। साल 2017 से नवंबर 2020 तक सौतेले पिता ने इस मासूम बच्ची के साथ बार-बार दुष्कर्म किया। वह घर में अकेला रहने पर इस घिनौने कृत्य को अंजाम देता था।

फरवरी 2021 में पीड़िता ने अपनी सहेली और मां को इस घटना के बारे में बताया। मां ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन पीड़िता की मां को भी सह-आरोपी बना दिया गया। हालांकि, बाद में मां ने अपना बयान बदल दिया, लेकिन कोर्ट ने पीड़िता की सहेली के बयान के आधार पर आरोपी को दोषी करार दिया।

न्यायपालिका का सख्त रुख

मंजेरी स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के जज एएम अशरफ ने इस मामले में कठोर सजा सुनाते हुए कहा कि आरोपी ने एक मासूम बच्ची के साथ जो किया है, वह अक्षम्य है। उन्होंने कहा कि इस तरह के अपराधों के लिए सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए।

समाज में चिंता का विषय

यह मामला एक बार फिर बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आजकल ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जो समाज के लिए चिंता का विषय हैं। बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा।

आगे का रास्ता

इस मामले में न्यायपालिका ने जो फैसला सुनाया है, वह सभी के लिए एक मिसाल है। हमें ऐसे अपराधियों को कड़ी सजा देकर समाज को एक संदेश देना होगा कि बच्चों के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही, हमें बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए जागरूकता फैलाने की भी जरूरत है।

यह मामला हमें याद दिलाता है कि हमारे समाज में अभी भी बहुत कुछ बदलने की जरूरत है। हमें बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा। हमें बच्चों को सिखाना होगा कि वे अपनी सुरक्षा कैसे करें और किसी भी तरह के यौन शोषण के खिलाफ आवाज कैसे उठाएं।

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