Jamshedpur (Jharkhand) : बर्मामाइंस स्थित सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (CSIR-NML) में हिंदी सप्ताह के समापन के अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रयोगशाला के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधुरी ने कहा कि कविता केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि मनुष्य की आत्मा की अनिवार्य अभिव्यक्ति है। जब शब्द भावनाओं से जुड़ते हैं, तो वे लोक-जीवन का दर्पण बन जाते हैं।
डॉ. घोष चौधुरी ने आगे कहा कि कविता ही वह सशक्त माध्यम है, जो लोकमानस की पीड़ा, आशा, उल्लास और संवेदना को सबसे सीधे और प्रभावी ढंग से व्यक्त करती है। उन्होंने कहा कि कविता हमें यह याद दिलाती है कि दुख केवल व्यक्तिगत नहीं होता, बल्कि उसमें एक साझा मानवता का अनुभव निहित है।
ओज से लेकर व्यंग्य तक, कवियों ने मोहा मन
कार्यक्रम में कविताओं, गीतों और गजलों का दौर शुरू हुआ। मंच पर मौजूद कवियों ने अपने-अपने अंदाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि अनंत महेंद्र ने अपने गीतों और प्रभावशाली मंच-संचालन से समां बांध दिया। डॉ. संगीता नाथ ने अपने ओज और श्रृंगार रस से श्रोताओं में नई ऊर्जा भर दी। वसंत जोशी ने हास्य-व्यंग्य के माध्यम से समाज की विसंगतियों पर चोट करते हुए लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया।
वहीं, मंजू शरण ‘मंजुल’ ने अपने गीतों की मधुरता से श्रोताओं के मन को पुलकित कर दिया, जबकि रीना यादव ने अपनी गजलों से भावनाओं की गहराई में उतरकर सबका दिल जीत लिया। प्रयोगशाला के वरिष्ठ हिंदी अधिकारी डॉ. पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि यह आयोजन केवल एक साहित्यिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक चेतना का उत्सव है। इस अवसर पर प्रयोगशाला के सभी कार्मिक और संगीता घोष चौधुरी भी उपस्थित थीं।


