नई दिल्ली : साउथ-वेस्ट जिले की साइबर पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 44 वर्षीय साइबर ठग चौथमल सैनी को राजस्थान के सीकर से गिरफ्तार किया है। आरोपी ने ऑनलाइन निवेश के नाम पर एक महिला से 29 लाख रुपए की ठगी की थी। उसके पास से अपराध में इस्तेमाल हुआ एक स्मार्टफोन भी बरामद किया गया। चौथमल साइबर पुलिस थाने के दो ठगी के मामलों में वांछित था।
डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि महिला शिकायतकर्ता एस. श्रीवास्तव ने साइबर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की कि व्हाट्सएप के जरिए उन्हें ऑनलाइन पार्ट-टाइम टास्क जॉब के लिए एक वेबसाइट से जोड़ा गया। शुरू में उनके द्वारा बताए गए बैंक खातों में पैसे जमा किए गए, और वेबसाइट पर उनके खाते में समान राशि दिखाई गई। इस राशि का उपयोग वेबसाइट पर ट्रेडिंग के लिए किया गया। महिला ने 29 लाख रुपये का निवेश किया और वेबसाइट पर उनका मुनाफा करोड़ों में दिखाया गया। हालांकि, जब उन्होंने मुनाफा निकालने की कोशिश की, तो उन्हें रोक दिया गया, और तब उन्हें ठगी का अहसास हुआ।
शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष टीम गठित की गई। एसीपी ऑपरेशंस विजय कुमार की निगरानी में टीम ने तकनीकी निगरानी, डिजिटल फुटप्रिंट्स और मनी ट्रेल का विश्लेषण किया। जांच में पता चला कि आरोपी राजस्थान के जयपुर और सीकर से फर्जी पहचान के साथ व्हाट्सएप के जरिए ठगी कर रहे थे। सीकर और जयपुर में छापेमारी के बाद चौथमल सैनी को गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ में उसने बताया कि वह कोविड के बाद अपने स्कूल के घाटे को पूरा करने के लिए कमीशन पर बैंक खाते उपलब्ध कराता था।आरोपी के पास से एक स्मार्टफोन बरामद हुआ और जांच में वह साइबर पुलिस थाने के एक अन्य ठगी मामले में भी शामिल पाया गया। पुलिस ने आरोपी के अन्य सहयोगियों की पहचान कर ली गई है और उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
फर्जी ऐप से क्रिप्टो ठगी का जाल : दिल्ली पुलिस ने 6 ठगों को दबोचा
साइबर पुलिस ने यूएसडीटी निवेश घोटाले में 10 लाख की ठगी का किया खुलासा
नई दिल्ली : दक्षिण जिला साइबर पुलिस स्टेशन ने एक संगठित साइबर अपराध गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो यूएसडीटी (टेदर क्रिप्टोकरेंसी) ट्रेडिंग के नाम पर निवेशकों को ठग रहा था। इस मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनके कब्जे से 5 मोबाइल फोन, 1 लैपटॉप और 4 बैंक पासबुक बरामद हुए हैं।
डीसीपी अंकित चौहान ने बताया कि एक पीड़ित की शिकायत पर कार्रवाई शुरू हुई, जिसने फेसबुक मैसेंजर के जरिए उच्च रिटर्न का लालच देकर ‘बिटॉप’ नामक फर्जी क्रिप्टो ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड करवाया। पीड़ित ने 10 लाख रुपए का निवेश किया, जिसका नकली मुनाफा ऐप के डैशबोर्ड पर दिखाया गया। जब उसने राशि निकालने की कोशिश की, तो 30% क्लियरेंस फीस” की मांग की गई, जिसके बाद ठगी का अहसास हुआ। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज करके जांच शुरू की।इंस्पेक्टर हंसराज स्वामी की अगुवाई में साइबर पुलिस की विशेष टीम ने तकनीकी और फील्ड जांच शुरू की। मिर्जापुर, यूपी की गरिमा सिंह ((38) को हिरासत में लिया गया, जिसने अपने पड़ोसी अलोक सिंह का नाम लिया। अलोक और अविनाश वर्मा ने गांव वालों के बैंक खाते मामूली रकम में खरीदकर हिमांशु बैसोया को 15,000 रुपए प्रति खाता बेचे।
हिमांशु, इस घोटाले का मास्टरमाइंड, कोटला मुबारकपुर से गिरफ्तार हुआ। उसने ठगी की रकम को एटीएम से निकालकर सिमरनजीत सिंह और कमल इंसान के जरिए यूएसडीटी खरीदा। आरोपियों में हिमांशु व सिमरनजीत ने बीसीए और कमल ने इंटीरियर डिजाइनर की डिग्री हासिल की हुई है। पर वे इस समय बेरोजगार हैं जल्द और आसान रुपए कमाने की लालच में ठगी का रास्ता अपना लिया था।