जमशेदपुर : पर्यावरण संरक्षण और जैवविविधता के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से दलमा में वन विभाग का प्रस्तावित डे आउट ट्रैकिंग कार्यक्रम अचानक हाथियों के आने से प्रभावित हो गया। हालांकि, पिंडराबेड़ा में हाथियों की मौजूदगी की जानकारी वन विभाग को शनिवार से ही हो गई थी। मगर, विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही बरती। स्कूली बच्चों और अन्य कामकाजी लोगों के लिए सुबह आयोजित कार्यक्रम जब शुरू हुआ तो अधिकारियों को ख्याल आया कि पिंडराबेड़ा में हाथियों का आवागमन बना हुआ है। इसलिए, ट्रैकिंग रूट बदलना पड़ गया। पहले इसे जमशेदपुर के हिल व्यू कालोनी से पिंडराबेड़ा तक ले जाना था। मगर, बाद में इसे पिंडराबेड़ा से पहले ही रोक दिया गया है।
शामिल हुए जमशेदपुर के अलावा, अन्य जिलों के स्कूली बच्चे
जमशेदपुर वन प्रमंडल ने रविवार को दलमा में स्कूली बच्चों के लिए एक डे आउट ट्रैकिंग कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में जमशेदपुर, रांची, बोकारो और धनबाद के सौ से अधिक बच्चों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में स्कूली बच्चों के अभिभावक और अन्य लोग भी शामिल हुए। ट्रैकिंग का यह आयोजन दलमा के मकुलाकोचा से सुबह 6 बजे शुरू हुआ।
जमशेदपुर वन प्रमंडल के डीएफओ सबा आलम अंसारी ने बताया कि बढ़ती मानव गतिविधियों और प्लास्टिक कचरे के कारण इस क्षेत्र का पारिस्थितिक तंत्र खतरे में पड़ रहा है। इस समस्या का समाधान करने के लिए दलमा ट्रैकिंग और पर्यावरणीय जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई है।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से सीसीएफ एसआर नटेश मौजूद थे, जिन्होंने बताया कि दलमा गज संरक्षण वन है और यहां कई प्रकार की वन्य जीव प्रजातियां पाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को जानवरों, पेड़-पौधों और जैव विविधता के महत्व के बारे में जागरूक करना है। इस अभियान के दौरान बच्चों को सफाई के लिए आवश्यक सामग्री जैसे दस्ताने, कचरा बैग और जागरूकता सत्र के लिए सूचना सामग्री प्रदान की गई। ट्रैकिंग रूट पर प्लास्टिक कचरे को कम करने के लिए सफाई अभियान भी चलाया जाएगा।
आरसीसीएफ स्मिता पंकज ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया और बताया कि इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से शहरी बच्चों को जंगल और ग्रामीण क्षेत्रों से वास्तविक परिचय कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों के मन में जंगल का मतलब केवल हाथी, हिरण या अन्य जानवर होते हैं, जबकि जंगल में कीड़े-मकोड़े और अन्य जैविक विविधताएं भी महत्वपूर्ण हैं।
इस ट्रैकिंग कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पर्यावरण के महत्व और जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक करना था। साथ ही, यह सुनिश्चित किया गया कि बच्चे ट्रैकिंग के दौरान अपनी जिम्मेदारी समझें और इस दौरान सफाई अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें।


