एंटरटेनमेंट डेस्क। Nora Fatehi Trapped in Deepfake: आज के दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ते जा रहा है। AI के वजह से कई टेक्नोलॉजी हमारे समाज में आ चुकी है और इसी में से एक है Deepfake। हाल ही में AI के इस्तेमाल के चलते बॉलीवुड की बोल्ड एक्ट्रेस नोरा फतेही Deepfake वीडियो की शिकार हो गई हैं।
इससे पहले रश्मिका मंदाना को भी इस तकनीक का निशाना बनाया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Deepfake की लिस्ट में कैटरीना कैफ, काजोल, आलिया भट्ट और प्रियंका चोपड़ा जैसी बड़ी हस्तियों का भी नाम शामिल है, लेकिन नोरा फतेही के साथ यह घटना हाल की है। यह नई घटना फिल्म इंडस्ट्री में बहस का कारण बन गई है, और सोशल मीडिया पर इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
Nora Fatehi: आवाज, रूप और भाषा- सब कुछ कैसे कॉपी हुआ?
इंटरनेट पर वायरल हो रहे एक ब्रांड प्रमोशन वीडियो में नोरा को किसी अन्य व्यक्ति के चेहरे में बदलकर बनाया गया है, और यह वीडियो सोशल मीडिया में चर्चा का केंद्र बन गया है। दरअसल, नोरा फतेही ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरीज पर वीडियो का स्क्रीनशॉट पोस्ट किया और डीपफेक का खुलासा किया। वायरल वीडियो क्लिप में नोरा को एक फैशन ब्रांड का प्रचार करते हुए दिखाया गया है। Deepfake की यह वीडियो इतनी परफेक्शन से बनाई गई है कि बताना मुश्किल हो रहा है की वीडियो में नोरा फतेही हैं या नहीं। इस वीडियो में उनकी आवाज उनकी बॉडी लैंग्वेज सब कॉपी की गई है, जिससे यह काफी रियल लग रहा है।
Deepfake – बॉलीवुड की हस्तियों पर एक और चुनौती
रश्मिका मंदाना के बाद नोरा फतेही ने डीपफेक का शिकार होने के साथ ही बॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियों की सूची में शामिल हो गई हैं। Deepfake विवादों में तब आया जब आलिया भट्ट का एक हेरफेर किया हुआ वीडियो साल 2023 में ऑनलाइन सामने आया था।
Deepfake टेक्नोलॉजी क्या है?
Deepfake टेक्नोलॉजी एक ऐसी प्रक्रिया है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीप लर्निंग (Deep Learning) का सहारा लेकर वीडियो और अन्य डिजिटल सामग्री में गहराई से फर्जी बदलाव करने की क्षमता होती है। इसका उपयोग व्यक्ति के चेहरे या आवाज को किसी अन्य व्यक्ति की सामान्यता के साथ रिप्लेस करने के लिए किया जाता है, और यह बहुत ही सुनिश्चित और वास्तविकता को मिमिक करने में सक्षम होती है।
Deepfake का उपयोग अक्सर जनसामान्य, गतिविधियों, और भाषणों के लिए जाने जाता है, जिससे उन्हें फर्जी और Unauthorized situations में प्रदर्शित किया जा सकता है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जानकारी का अपवाद, पहचान की चोरी, और दुरुपयोग के लिए बढ़ा सकता है और इसलिए इसकी नैतिकता और सुरक्षा संबंधित समस्याओं का सामना करना महत्वपूर्ण है।
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