नई दिल्ली: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने राजधानी में एक नागरिक द्वारा चलती कार से गाय को रोटी फेंकने की घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर इस घटना का वीडियो साझा करते हुए इसे न केवल सड़क सुरक्षा के लिए खतरा बताया, बल्कि रोटी को भारतीय संस्कृति, आस्था और सम्मान का प्रतीक भी बताया।
मुख्यमंत्री गुप्ता, जो पहली बार विधायक बनी हैं, ने शनिवार को राजधानी में यात्रा के दौरान इस घटना को स्वयं देखा। उन्होंने तुरंत अपनी कार रुकवाई और संबंधित व्यक्ति से बातचीत की। वीडियो में देखा जा सकता है कि मुख्यमंत्री गुप्ता व्यक्ति से folded hands (हाथ जोड़कर) निवेदन कर रही हैं कि वे भविष्य में ऐसा न करें। व्यक्ति ने मुख्यमंत्री की बात मानते हुए उनसे सहमति जताई और उन्हें प्रणाम किया।
रोटी सिर्फ भोजन नहीं, हमारी संस्कृति और आस्था का प्रतीक: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता
मुख्यमंत्री ने अपने पोस्ट में लिखा,
“आज राजधानी में यात्रा के दौरान देखा कि एक व्यक्ति ने presumably (संभवत:) गाय को खिलाने के लिए सड़क पर ब्रेड फेंकी। मैंने तुरंत गाड़ी रुकवाई और व्यक्ति से निवेदन किया कि वह ऐसा फिर कभी न करे। रोटी केवल भोजन नहीं है, यह हमारी संस्कृति, आस्था और सम्मान का प्रतीक है।”
उन्होंने आगे कहा कि सड़क पर रोटी या कोई भी खाद्य सामग्री फेंकने से गायें और अन्य जानवर वहां खाने के लिए आते हैं, जिससे न केवल उनकी जान को खतरा होता है, बल्कि राहगीरों और वाहनों की सुरक्षा भी प्रभावित होती है।
पशुओं को खिलाएं लेकिन जिम्मेदारी से: गौशाला में दें आहार
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्लीवासियों से अपील की कि यदि वे पशुओं को भोजन देना चाहते हैं, तो उन्हें गौशाला या किसी निर्धारित स्थल पर जाकर ही ऐसा करना चाहिए। उन्होंने कहा,
“भोजन का अनादर न करें। यदि आप पशुओं को खिलाना चाहते हैं, तो कृपया गौशाला या किसी निर्धारित स्थान पर जाकर उन्हें स्नेहपूर्वक और जिम्मेदारी के साथ खिलाएं। यही हमारी संवेदनशीलता, जिम्मेदारी और सांस्कृतिक मूल्यों की पहचान है।”
सड़क सुरक्षा और सांस्कृतिक चेतना को जोड़ती यह पहल
मुख्यमंत्री की यह पहल न केवल सड़क सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक संदेश है, बल्कि यह भारतीय समाज में व्याप्त धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना को भी दर्शाती है। ऐसे समय में जब दिल्ली की सड़कें पशुओं की आवाजाही के कारण दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ाती हैं, यह कदम जनजागरूकता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।