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Delhi: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के छात्र रहे शख्स ने कर्नल बनकर की थी ठगी

दिल्ली पुलिस ने 77 वर्षीय ठग को पंजाब से गिरफ्तार किया, 2007 से दर्ज एक धोखाधड़ी के मामले में फरार था

by Anurag Ranjan
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नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एंटी रॉबरी एंड स्नैचिंग सेल (एआरएससी) ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए 77 वर्षीय ठग सीताराम गुप्ता उर्फ सीताराम सिंगला को पंजाब के पटियाला से गिरफ्तार किया है। यह शख्स खुद को भारतीय सेना का कर्नल बताकर लोगों के साथ ठगी करता था। वह 2007 से दर्ज एक धोखाधड़ी के मामले में फरार था और जमानत छोड़कर भाग गया था। क्राइम ब्रांच की टीम ने कड़ी मेहनत और तकनीकी निगरानी के जरिए उसे पटियाला के एक वृद्धाश्रम से पकड़ा।

डीसीपी अपूर्वा गुप्ता ने बताया कि विवेक विहार थाने में 2007 में दर्ज के तहत, सीताराम गुप्ता पर धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप हैं। शिकायतकर्ता अनिल निगम, जो एक बैंक कर्मचारी हैं, ने बताया कि सीताराम ने खुद को कर्नल के रूप में पेश किया और आर्मी वेलफेयर हाउसिंग ऑर्गनाइजेशन में फ्लैट और दुकान दिलाने का वादा किया। उसने 56,000 रुपये अग्रिम राशि के रूप में लिए और दो रसीद भी दीं। संदेह होने पर अनिल ने पुलिस में शिकायत दर्ज की, जिसके बाद मामला दर्ज हुआ। जांच के बाद सीताराम को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसे कोर्ट से जमानत मिल गई। इसके बाद वह मुकदमे से बचने के लिए फरार हो गया। कड़कड़डूमा कोर्ट की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी स्वाति शर्मा ने 26 अप्रैल 2025 को उसे भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया था।

क्राइम ब्रांच की एआरएससी टीम को गुप्त सूचना मिली कि सीताराम पटियाला के एक वृद्धाश्रम में छिपा हुआ है। तकनीकी निगरानी और मानव खुफिया जानकारी के आधार पर टीम ने उसे पटियाला से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने बताया कि उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए अपना रूप, मोबाइल नंबर और ठिकाना बदल लिया था।

सीताराम गुप्ता उर्फ सीताराम सिंगला का जन्म 1948 में हरियाणा के मंडी डबवाली, सिरसा में हुआ था। उनका परिवार बाद में पंजाब के मनसा में बस गया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से इतिहास और अर्थशास्त्र में एमए किया और वह पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के छात्र रहे, जब वे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। सीताराम ने भारतीय सेना में तेल आपूर्तिकर्ता के रूप में काम शुरू किया और इस दौरान सेना के रैंकों और भर्ती प्रक्रिया की जानकारी हासिल की।

1987 में दिल्ली आने के बाद उन्होंने खुद को कर्नल बताकर ठगी शुरू की। उन्होंने कई युवाओं से सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे लिए और आर्मी वेलफेयर हाउसिंग ऑर्गनाइजेशन में फ्लैट में फ्लैट और दुकान दिलाने का झांसा देकर एक बैंक कर्मचारी को ठगा। उनके खिलाफ दिल्ली के शकरपुर और क्राइम ब्रांच में धोखाधड़ी के तीन मामले दर्ज हैं। उनकी पत्नी का निधन हो चुका है और उनके दो बच्चे हैं।

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