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दीवाली के बाद दिल्ली की बिगड़ी आबोहवा, कई इलाकों में AQI 400 के पार

दिल्ली के आनंद विहार, रोहिणी, और नरेला में वायु प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं सामने आ रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी की है।

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: दीवाली का त्योहार समाप्त होने के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आई है। प्रदूषण बढ़ गया है। राजधानी के कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के स्तर को पार कर गया है। यह गंभीर वायु प्रदूषण का संकेत है। यह स्थिति न केवल लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि शहर की जीवनशैली पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

दीवाली के पटाखों ने डाला असर

दीवाली के अवसर पर पटाखों की बिक्री और उपयोग ने दिल्ली की पहले से ही प्रदूषित हवा को और अधिक प्रदूषित कर दिया। त्योहार के दौरान हुए पटाखों के विस्फोट से वायु में धुआं और हानिकारक कणों की मात्रा में अचानक वृद्धि हुई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पटाखों के जलने से पीएम 2.5 कणों का स्तर काफी बढ़ गया, जिससे AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) में बेतहाशा वृद्धि हुई। कई इलाकों में यह स्तर 400 से भी ऊपर चला गया, जो अत्यधिक गंभीर श्रेणी में है।

सांस लेने में परेशानी, आंखों में हो रही जलन

दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में जैसे कि आनंद विहार, रोहिणी, और नरेला में AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 400 से ऊपर दर्ज किया गया। इन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक उच्च AQI के संपर्क में रहना स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, विशेष रूप से बच्चों और वृद्ध लोगों के लिए।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी चेतावनी


स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस स्तर का वायु प्रदूषण स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि अस्थमा, फेफड़ों की बीमारियाँ और हृदय संबंधी समस्याएं। विशेषकर, जिन लोगों को पहले से ही श्वसन संबंधी समस्याएं हैं, उनके लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक साबित हो सकती है।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार ने उठाए कदम

प्लांटिंग ट्रीज: प्रदूषण को कम करने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने का लक्ष्य।
गाड़ी और निर्माण कार्य पर रोक: प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों और निर्माण कार्यों पर सख्त नियम।
जन जागरूकता अभियान: लोगों को वायु गुणवत्ता और प्रदूषण के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करना।

नागरिकों की जिम्मेदारी

इस स्थिति से निपटने के लिए केवल सरकारी प्रयासों की ही नहीं, बल्कि नागरिकों की भी जिम्मेदारी है। हमें सामूहिक रूप से जिम्मेदार बनकर वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कदम उठाने होंगे। इसका अर्थ है कि हमें पटाखों का उपयोग कम से कम करना चाहिए, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ाना चाहिए और अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखने का प्रयास करना चाहिए।

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