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वजन घटाने को बढ़ी ‘गांधी डाइट’ की मांग, जानिए महात्मा गांधी के फिटनेस का राज

by Rakesh Pandey
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हेल्थ डेस्क, रांची : अंग्रेजों को धूल चटाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का डाइट इन दिनों अचानक से चर्चा में आ गया है। गांधी जयंती के बाद इसको लेकर जबरदस्त रुझान देखा जा रहा है। डॉक्टर व डायटीशियन भी इसे अपनाने की सलाह दे रहें हैं। झारखंड के महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डायटीशियन अन्नू सिन्हा कहती हैं कि आज के लाइफ स्टाइल में गांधी जी की डाइट पूरी तरह से फिट है। इसलिए इसे पसंद किया जा रहा है। अगर, लोग इसे अपनाना शुरू कर दें तो यकीन मानिए न सिर्फ मोटापा बल्कि उनकी आधे से ज्यादा समस्याएं यूं ही दूर हो जाएंगी। अब गांधी डाइट को लेकर आपके मन में जिज्ञासा बढ़ गई होगी। तो आइए, इसके बारे में विस्तार से आपको बताते हैं।

गांधी के फिटनेस का राज?

क्या आपको महात्मा गांधी के फिटनेस का राज पता है? नहीं, तो आइए हम आपको बापू के स्वास्थ्य से जुड़ा सबसे बड़ा राज बताते हैं। दरअसल, महात्मा गांधी अपने दिनचर्या को लेकर काफी अनुशासित व ईमानदार थे। वे इसे पूरा करने के लिए कभी बहाना नहीं बनाते थे।

इस तरह होती थी दिन की शुरुआत

महात्मा गांधी के दिन की शुरुआत सुबह चार बजे से होती थी। वह चार बजे बिस्तर छोड़ देते थे। इसके बाद सुबह 4.20 बजे प्रार्थना करते थे। इसके बाद वे कुछ लिखा करते थे। चूंकि उन्हें लिखना काफी पसंद था। इसलिए रोजाना कुछ न कुछ जरूर लिखते थे। जिससे उनका मन शांत व स्थिर रहता था।

रोजाना पांच किलोमीटर वॉक करते थे

महात्मा गांधी हर रोज सुबह 7 बजे पांच किलोमीटर का मॉर्निंग वॉक करते थे। फिर 7.30 बजे तक सुबह का नाश्ता कर लेते थे। वहीं, दिन का खाना यानी लंच सुबह 11 बजे तक कर लिया करते थे।

रात का खाना शाम में ही कर लेते थे

महात्मा गांधी रात का खाना शाम पांच बजे ही कर लेते थे। इसके डेढ़ घंटे बाद शाम 6.30 बजे वह फिर से वॉक करते थे। रात नौ बजे तक सारे काम कर सो जाते थे। एक अध्ययन में पाया गया हैं कि जो लोग शाम 5 बजे खाना खाते हैं, वे बाद में खाना खाने वालों की तुलना में 60 अधिक कैलोरी जलाते हैं। शोध में भाग लेने वाले जिन प्रतिभागियों ने रात का खाना देर से खाया, उनमें वसा भी अलग तरह से जमा हुई। उनमें भूख का स्तर भी अधिक था।

हर हफ्ते करते थे मौन व्रत

महात्मा गांधी हर हफ्ते सोमवार के दिन मौन व्रत रखते थे। वहीं, वे हर दिन औसतन 18 घंटे पैदल चलते थे। और वर्ष 1913 से 1948 के बीच इन 35 वर्षों में उन्होंने 79 हजार की पैदल यात्रा की थी। वर्ष 1930 में जब महात्मा गांधी 60 वर्ष के थे,.तब उन्होंने नमक सत्याग्रह के लिए 388 किमी की यात्रा की।

महात्मा गांधी ने डाइट पर लिखी हैं कई किताबें

महात्मा गांधी की आत्मकथा, ‘माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ’ के बारे में काफी लोग जानते हैं जो कि एक लोकप्रिय पुस्तक है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भोजन और आहार पर भी उन्होंने कई किताबें लिखी हैं। उनकी किताबें ‘डाइट एंड डाइट रिफॉर्म्स, ‘द मोरल बेसिस ऑफ वेजिटेरियनिज्म’ और ‘की टू हेल्थ’ हेल्थ और डायट पर बेस्ड हैं।

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बादाम का दूध बनाकर पीते थे

महात्मा गांधी, बादाम का दूध भी खुद बनाकर पिया करते थे, जिसमें सैचुरेटिड फैट नहीं होता है। हरिजन में गांधीजी ने लिखा है कि, ‘गेहूं की भूसी निकालने पर पोषण का भयानक नुकसान होता है।

पॉलिश किए गए अनाज के खिलाफ थे गांधी

महात्मा गांधी पूरी तरह से पॉलिश किए गए अनाज के खिलाफ थे। उनका मानना था कि रिफांइड होने के बाद सफेद और छिलके वाले अनाज अपना सारा पोषण खो देते हैं। गांधी जी मानते थे कि बिना पका हुआ भोजन या कच्चा भोजन, अपने शुद्धतम रूप में भोजन है। इसमें शामिल सलाद, स्प्राउट्स, कई फल और सब्जियां काफी सस्ते और स्वास्थ्यवर्धक भी हैं।

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