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कोलकाता कांड: महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले में न्याय की मांग तेज, 9 फरवरी को सड़कों पर उतरेंगे पीड़िता के माता-पिता

by Neha Verma
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले में पीड़िता के माता-पिता ने न्याय की मांग को लेकर 9 फरवरी को सड़क पर उतरने की घोषणा की है। यह दिन पीड़िता का 32वां जन्मदिन होता, जिसे वे न्याय की मांग के साथ मनाना चाहते हैं।

घटना का पूरा विवरण

9 अगस्त 2024 को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पीड़िता का शव सेमिनार हॉल में मिला था। रिपोर्ट्स के अनुसार, वह 36 घंटे की शिफ्ट के दौरान वहां आराम कर रही थीं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला घोंटने और यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई थी।

मुख्य आरोपी और न्यायिक प्रक्रिया

इस जघन्य अपराध में पुलिस ने संजय रॉय नामक एक पुलिस स्वयंसेवक (सिविक वॉलंटियर) को गिरफ्तार किया था, जिसने आरोपों से इनकार किया। जांच के बाद, जनवरी 2025 में अदालत ने संजय रॉय को बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। हालांकि, पीड़िता के परिवार और कई अन्य लोगों ने मौत की सजा की मांग की थी, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया।

न्याय में देरी और प्रदर्शन

पीड़िता के माता-पिता का कहना है कि वे पिछले छह महीनों से न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें न्याय नहीं मिला है। उन्होंने एक वीडियो संदेश में जनता से अपील करते हुए कहा,
“हम अपनी बेटी के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। उसकी मेहनत, उसके सपने, सब कुछ चकनाचूर हो गया। 9 फरवरी को उसका जन्मदिन है, और हम इस दिन न्याय की देरी के विरोध में सड़कों पर उतरेंगे। हम आप सभी से अनुरोध करते हैं कि हमारे साथ खड़े हों।”

इससे पहले, 9 अगस्त 2024 को भी हजारों लोगों ने न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था।

सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

यह घटना अस्पतालों में सुरक्षा की गंभीर कमी को उजागर करती है।

  • 2019 में पश्चिम बंगाल सरकार ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए बेहतर इंतजाम करने का वादा किया था, लेकिन आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ये उपाय लागू नहीं किए गए थे।
  • इस घटना के बाद पूरे भारत में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने विरोध प्रदर्शन किया और महिला चिकित्सकों की सुरक्षा की मांग उठाई।

रकार की प्रतिक्रिया

घटना के बाद, सरकार ने राज्य संचालित अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए, जिनमें शामिल हैं:

  • अस्पतालों में सुरक्षा कर्मियों की संख्या 25% तक बढ़ाने की घोषणा।
  • संवेदनशील क्षेत्रों में महिला सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति
  • आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए स्पेशल फोर्स (मार्शल्स) की तैनाती

यह घटना भारत में महिलाओं की सुरक्षा और कार्यस्थलों पर सुरक्षा उपायों की जरूरत पर गंभीर सवाल खड़ा करती है। जहां कुछ सुधार किए गए हैं, वहीं यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ऐसे उपाय प्रभावी रूप से लागू हों, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

पीड़िता के माता-पिता ने कहा है कि वे न्याय मिलने तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। अब देखना यह है कि 9 फरवरी के विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार इस मामले में और क्या कदम उठाती है।

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