पटना: बिहार में BPSC (Bihar Public Service Commission) अभ्यर्थियों का आंदोलन अभी भी जोर पकड़ रहा है, जिसमें छात्रों ने अपने अधिकारों और परीक्षा प्रक्रिया में गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज उठाई है। इस संघर्ष में हाल ही में पटना में छात्रों के एक डेलिगेशन ने राज्य सरकार के अधिकारियों से मुलाकात की, लेकिन अब तक इस मुद्दे का हल नहीं निकल सका है। आंदोलनकारियों की मुख्य मांग है कि 70वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा को रद्द कर फिर से सही तरीके से आयोजित किया जाए और परीक्षा की पूरी प्रक्रिया की जांच की जाए।
मुख्य सचिव से मुलाकात और सरकार की प्रतिक्रिया
बीपीएससी अभ्यर्थियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बिहार के मुख्य सचिव से मुलाकात की, जिसमें छात्रों ने अपनी समस्याओं और सवालों को सरकार के सामने रखा। मुख्य सचिव ने उन्हें आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पटना लौटने पर उनसे मुलाकात करने की कोशिश की जाएगी। इस मुलाकात के बाद एक छात्र प्रतिनिधि ने बताया कि बातचीत सकारात्मक माहौल में हुई और मुख्य सचिव ने उनकी बात धैर्यपूर्वक सुनी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जब तक सरकार कोई निर्णय नहीं लेती, उनका धरना जारी रहेगा। छात्रों ने सरकार से उनके खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की भी मांग की है।
बीपीएससी चेयरमैन का बयान
बीपीएससी के चेयरमैन परमार रवि मनु भाई ने राज्यपाल से मुलाकात की और आंदोलन के दौरान किए गए सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि परीक्षा रद्द करने का कोई सवाल नहीं है, क्योंकि राज्य के 912 परीक्षा केंद्रों में से 911 पर कोई गड़बड़ी का प्रमाण नहीं मिला है। केवल एक केंद्र पर दोबारा परीक्षा होगी, और 70वीं BPSC पीटी परीक्षा का परिणाम जनवरी के अंत तक घोषित कर दिया जाएगा।
तेजस्वी यादव और पप्पू यादव के बयान
राजद प्रमुख तेजस्वी यादव ने इस आंदोलन में प्रशांत किशोर (PK) और उनकी जन सुराज पार्टी के खिलाफ आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि PK ने प्रदर्शनकारियों को गांधी मैदान की ओर मार्च करने के लिए गुमराह किया, लेकिन जब प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और पानी की बौछार की गई, तो वह मौके से भाग गए। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि कुछ लोग सरकार की ‘बी-टीम’ की तरह काम कर रहे थे।
वहीं, पप्पू यादव ने भी प्रशांत किशोर पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “प्रशांत किशोर नए नेता बनने का दावा कर रहे हैं, लेकिन अब छात्रों को धमका रहे हैं और अपनी औकात का प्रदर्शन कर रहे हैं।” पप्पू यादव ने यह भी कहा कि जब छात्रों को पुलिस द्वारा पीटा जा रहा था, तो PK मौके से भाग गए थे।
प्रियंका गांधी का समर्थन
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इस आंदोलन में छात्रों का समर्थन किया। उन्होंने ट्वीट कर बिहार में छात्रों पर हो रहे अत्याचार की निंदा की और कहा कि परीक्षा में भ्रष्टाचार को रोकने के बजाय सरकार छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। प्रियंका ने कहा कि इस कड़ाके की ठंड में छात्रों पर पानी की बौछार और लाठीचार्ज करना अमानवीय है।
प्रशांत किशोर का जवाब
प्रशांत किशोर ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि वे BPSC अभ्यर्थियों के साथ मिलकर आंदोलन का हिस्सा बने थे, और आंदोलन में छात्रों को नेतृत्व देने की जिम्मेदारी छात्रों ने खुद उठाई थी। उन्होंने कहा कि गांधी मैदान में छात्रों ने मार्च और ज्ञापन देने का निर्णय लिया था, और प्रशासन को इसकी जानकारी पहले से दी गई थी। PK ने यह भी दावा किया कि गांधी मैदान से निकलने के बाद ही लाठीचार्ज हुआ, और वे पुलिस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का इरादा रखते हैं।
छात्रों की प्रमुख मांगें
BPSC अभ्यर्थियों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
70वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा को रद्द कर नए सिरे से आयोजित किया जाए।
प्रश्न पत्र की तैयारी और परीक्षा आयोजन की पूरी प्रक्रिया की गहन जांच की जाए।
प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की जाए, ताकि छात्रों को भविष्य में अनावश्यक परेशानी का सामना न करना पड़े।
बीपीएससी अभ्यर्थियों का आंदोलन अब राजनीतिक और प्रशासनिक मोर्चों पर भी छा गया है। सरकार, प्रशांत किशोर, तेजस्वी यादव, और पप्पू यादव सहित विभिन्न पक्ष इस मुद्दे पर बयान दे रहे हैं, लेकिन छात्रों की मुख्य मांगें अब तक अनसुलझी हैं। यह आंदोलन बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है, और अब यह देखना होगा कि सरकार कब तक इस मुद्दे का समाधान करती है और छात्रों की मांगों को लेकर कौन सा फैसला लिया जाता है।
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