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टीम इंडिया में सेलेक्ट होने वाले ध्रुव जुरेल ने संघर्ष के बाद पाया ये मुकाम, जानें पूरी कहानी

by Rakesh Pandey
Dhruv Jurel
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स्पोर्ट्स डेस्क : इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली टेस्ट सीरीज के शुरुआती दो मैचों के लिए चयनकर्ताओं ने भारतीय टीम की शुक्रवार को घोषणा कर दी। भारतीय टीम में विकेटकीपर बल्लेबाज ध्रुव जुरेल (Dhruv Jurel) को मौका दिया गया है। 22 साल का यह खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करता है। वह पिछले साल दिसंबर में इंडिया ए टीम का हिस्सा थे, जो कि साउथ अफ्रीका के दौरे पर गई थी। रणजी ट्रॉफी में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है।

घर से छुपकर क्रिकेट की ली ट्रेनिंग

ध्रुव जुरेल उत्तर प्रदेश के आगरा से आते हैं, उनके पिता सेना में हवलदार थे। ध्रुव खुद भी आर्मी में जाना चाहते थे, उनके पिता भी यही चाहते थे कि बेटे की सरकारी नौकरी लग जाए, लेकिन ध्रुव का मन तो क्रिकेट में ही लगता था। जब उन्होंने पहली बार क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए अपना नाम लिखवाया, तो पिता से बात छुपाई थी। बाद में जब उन्हें मालूम चला, तो काफी डांट भी सुननी पड़ी। जुरेल ने विदर्भ के खिलाफ पिछले साल फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था। उन्होंने 15 मैचों में 46 के औसत से 790 बनाए हैं। उनके बल्ले से एक शतक और पांच अर्धशतक निकले हैं।

जुरेल को अपने नियमित प्रदर्शन का इनाम मिला है। उनके संघर्ष में मां और पिता का अहम रोल रहा।

पिता ने बैट के लिए उधार लिए पैसे

ध्रुव के पिता ने रिटायरमेंट के बाद पीएसओ का भी काम किया। ध्रुव बताते हैं कि पिता की हालत देखकर उन्हें दुख होता था। ऐसे में उन्होंने क्रिकेट पर फोकस करने का फैसला किया, अलग-अलग स्टेज से गुजरे और बाद में आईपीएल में मौका मिल गया। वहां से ही ध्रुव जुरेल की किस्मत पलटी। दूसरी ओर घरेलू क्रिकेट में भी अच्छा प्रदर्शन किया। ध्रुव जुरेल (Dhruv Jurel) की कहानी काफी प्रेरणादायक है। साधारण परिवार से आने वाले ध्रुव ने मेहनत और लगन से घरेलू क्रिकेट में अपना नाम बनाया है। ध्रुव के टीम इंडिया तक आने का सफर आसान नहीं रहा है। बैट खरीदने के लिए उनके पिता को 800 रुपए उधार लेने पड़े थे।

टीम में चयन के बाद ध्रुव ने कहा, ‘मैं आर्मी स्कूल में पढ़ता था। छुट्टियों के दौरान मैं आगरा के एकलव्य स्टेडियम में क्रिकेट कैंप में शामिल होने के बारे में सोच रहा था। मैंने फॉर्म तो भर दिया, लेकिन अपने पिता को नहीं बताया। जब उन्हें पता चला, तो उन्होंने मुझे डांटा। लेकिन, उन्होंने मेरे लिए क्रिकेट बैट खरीदने के लिए 800 रुपए उधार लिए।‘

किट के लिए मां ने बेची थी चेन

ध्रुव जुरेल (Dhruv Jurel) के मुताबिक, उन्हें एक टूर्नामेंट खेलने के लिए पहली बार अपनी क्रिकेट किट की जरूरत पड़ी, तब पिता ने किट दिलाने से मना कर दिया था, क्योंकि हमारा बजट नहीं था। ऐसे में उनकी मां ने अपनी सोने की चेन बेच डाली। और उससे जो पैसा आया, उससे ध्रुव जुरेल की पहली क्रिकेट किट खरीदी गई।

Dhruv Jurel: सेना में अफसर बनने की थी ख्वाहिश

ध्रुव जुरेल कहते हैं कि मेरे पिताजी सेना में हवलदार थे। जब मेरे पिता वरिष्ठ अधिकारियों को सैल्यूट मारते थे, तो मुझे अच्छा नहीं लगता था। तब मैं उन्हें देखता था तो हमेशा सोचता था कि सेना में अफसर बनूंगा। मैं गली में क्रिकेट खेलता था। मैंने जब पापा से कहा कि मुझे क्रिकेट खेलना है, तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि तुम्हें सरकारी नौकरी करनी है। हमारी घर की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। सरकारी नौकरी से थोड़ी स्थिरता आती है। मैं आर्मी स्कूल में पढ़ता था।

स्कूल की जब छुट्टियां हुई तो मैंने कैंप करने की योजना बनाई। आगरा में एकलव्य स्टेडियम में मैं तैराकी सीखने गया था। वहां बच्चे क्रिकेट खेलने आए थे, मुझे भी क्रिकेट खेलने का शौक था।

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