नई दिल्ली :क्राइम ब्रांच की साइबर सेल, क्राइम ब्रांच ने डिजिटल अरेस्ट करके महिला से फर्जी एफआईआर के नाम 35 लाख रुपये की ठगी मामले में दो साइबर ठग गिरफ्तार किए हैं। दोनों आरोपी शुभम शर्मा और मोहित एक बड़े साइबर रैकेट का हिस्सा है, जो मुख्य रूप से डिजिटल अरेस्ट करके महिलाओं और बुजुर्गों को अपना शिकार बनाया करते हैं। इस साइबर ठगी में आरोपी ने एक गृहिणी से फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर ठगी को अंजाम दिया था। डीसीपी आदित्य गौतम ने बताया कि इस रैकेट से जुड़े ठग पुलिस अधिकारियों की नकली पहचान बनाकर फोन, मैसेज या सोशल मीडिया के जरिए पीड़ितों से संपर्क करते हैं।
फिर उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग या साइबर अपराध जैसे झूठे आरोप लगाकर एफ आई आर दर्ज किए जाने की धमकी देकर वीडियो कॉल के जरिए पीड़ितों को डिजिटल अरेस्ट में रखते हैं। इस मामले में, एक गृहिणी को मुंबई साइबर क्राइम के सब-इंस्पेक्टर प्रवीण शर्मा के रूप में फर्जी कॉलर ने निशाना बनाया गया था। आधार क्रेडेंशियल के दुरुपयोग का आरोप लगाकर एक महिला अधिकारी ने व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर फर्जी एफआईआर और गिरफ्तारी वारंट दिखाए। पीड़िता को लंबे समय तक कॉल पर रखकर मनोवैज्ञानिक दबाव में 35 लाख रुपये वसूल लिए।
इस दौरान ठगो ने प्रत्येक भुगतान के बाद उसे डिजिटल साक्ष्य मिटाने को भी मजबूर किया। डीसीपी ने बताया कि आरोपियों द्वारा चैट और भुगतान रिकॉर्ड मिटाने की कोशिशों के बावजूद, पुलिस ने डिजिटल फोरेंसिक, बैंक लेनदेन, और मोबाइल टावर डंप के विश्लेषण से घोटाले का खुलासा किया। हेड कॉन्स्टेबल आनंद कुमार ने संदिग्ध खातों और यूपीआई आईडी का पता लगाया। डिजिटल निगरानी और खुफिया जानकारी से शुभम शर्मा को पानीपत से और फिर मोहित को गिरफ्तार कर लिया गया।पूछताछ में शुभम शर्मा ने बताया कि उसने फर्जी दस्तावेजों से आठ बैंक खाते खोले थे। मोहित ने फर्जी खाते खोलने और ठगी के पैसे निकालने में मदद की थी। पुलिस अन्य पीड़ितों की पहचान के लिए जांच कर रही है।
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