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तकनीक ने खड़ी की चुनौती, क्या है डिजिटल डिमेंशिया बीमारी? जानिये

by The Photon News Desk
Digital Dementia
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हेल्थ डेस्क। What is Digital Dementia? यह तकनीक की खड़ी की गई चुनौती है जिससे निदान पाना जरूरी लगने लगा है। डिजिटल युग में हमारी ज़िंदगी स्मार्टफोन, कंप्यूटर और इंटरनेट के इर्द-गिर्द घूमने लगी है। वैसे तो तकनीक ने हमारा जीवन आसान बनाया है, लेकिन डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक इस्तेमाल हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी चुनौतियां भी खड़ी कर रहा है। इनमें से एक गंभीर समस्या है “Digital Dementia”।

Digital Dementia: बढ़ रही है समस्या

डिजिटल डिमेंशिया एक ऐसी समस्या के रूप में सामने है जिसका अभी तक चिकित्सीय रूप से मान्यता प्राप्त निदान नहीं है। हालांकि, यह शब्द मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में तेजी से चर्चा का विषय बन रहा है। इसका इस्तेमाल उस स्थिति को बताने के लिए किया जाता है, जिसमें डिजिटल डिवाइसों के अत्यधिक और अनुचित उपयोग से दिमाग की कार्यक्षमता कम होने लगती है।

कैसे करें लक्षणों की पहचान

डिजिटल डिमेंशिया के लक्षण पारंपरिक डिमेंशिया से मिलते-जुलते हैं, लेकिन कुछ खास लक्षण इसे अलग भी बनाते हैं:

– याददाश्त कमजोर होना: जैसे, फोन नंबर या सूचनाएं भूल जाना, महत्वपूर्ण चीज़ें रखकर खो देना।

– एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।
– निर्णय लेने की क्षमता कम होना।
– नींद से जुड़ी समस्याएं।
– सामाजिक दायरे से पीछे हटना।
– डिजिटल उपकरणों पर निर्भरता का बढ़ना।
– वास्तविक दुनिया से जुड़ाव कम होना।

Digital Dementia: किसे ज्यादा खतरा?

बच्चों और किशोरों में डिजिटल डिमेंशिया का खतरा अधिक होता है क्योंकि उनका दिमाग अभी विकासशील अवस्था में होता है। साथ ही, बुजुर्गों में भी यह समस्या देखी जा सकती है, जहां दिमाग की कार्यक्षमता पहले से ही कमजोर होती है।

Digital Dementia : बचाव के उपाय

डिजिटल डिवाइसों का इस्तेमाल ज़रूरी है, लेकिन संतुलित तरीके से इनका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। डिजिटल डिमेंशिया से बचने के लिए इन उपायों पर ध्यान दें:

डिजिटल डिटॉक्स: नियमित रूप से फोन और इंटरनेट से दूर रहें। प्रकृति में घूमें, शारीरिक गतिविधियां करें और सामाजिक दायरे के साथ समय बिताएं।

सोने से पहले स्क्रीन बंद करें: नींद को बेहतर बनाने के लिए सोने से कम से कम एक घंटे पहले स्क्रीन का इस्तेमाल बंद कर दें।

उपयोग सीमित करें: सोशल मीडिया और मनोरंजन एप्स के इस्तेमाल को सीमित करें। केवल ज़रूरी काम के लिए ही डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल करें।

ध्यान और व्यायाम करें: दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए नियमित रूप से ध्यान और योग का अभ्यास करें। शारीरिक रूप से फिट रहें।

स्वस्थ आहार लें: दिमाग की सेहत के लिए पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें।

परिवार और डॉक्टर से बात करें: किसी समस्या का अनुभव होने पर परिवार और डॉक्टर से बात करें।

हालांकि डिजिटल डिमेंशिया को अभी आधिकारिक मान्यता नहीं मिली है, लेकिन यह चिंता का विषय बनता जा रहा है। आधुनिक तकनीक का लाभ लेते हुए, उसका संतुलित इस्तेमाल ही हमें स्वस्थ और खुश रहने में मदद कर सकता है।

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