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Vijayadashami 2024 : बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा

हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था, जिससे यह दिन विशेष महत्व रखता है।

by Rakesh Pandey
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नई दिल्लीः विजयादशमी जिसे दशहरा के नाम से जाना जाता है। आज यानी शनिवार को दशहरा है, जिसे हर साल शारदीय नवरात्रि के समापन के साथ मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था, जिससे यह दिन विशेष महत्व रखता है। आइए जानते हैं दशहरा पर्व की तिथि, पूजा विधि, रावण दहन का मुहूर्त और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां।

दशहरा तिथि 2024

इस वर्ष, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10:57 बजे से शुरू होकर 13 अक्टूबर को सुबह 09:07 बजे तक रहेगी। इसलिए दशहरा पर्व 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

रावण दहन का शुभ मुहूर्त

दशहरा पर रावण दहन करने का शुभ समय प्रदोष काल में होता है। इस बार 12 अक्टूबर को रावण दहन का मुहूर्त शाम 5:52 बजे से लेकर शाम 7:26 बजे तक रहेगा।

दशहरा के शुभ योग 2024

इस वर्ष दशहरा पर सर्वार्थसिद्धि, रवियोग और श्रवण नक्षत्र का शुभ योग बन रहा है। सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 5:25 बजे से 13 अक्टूबर को सुबह 4:27 बजे तक रहेगा, जबकि रवियोग सुबह 6:20 बजे से 13 अक्टूबर को सुबह 6:21 बजे तक रहेगा।

अबूझ मुहूर्त

दशहरा का पर्व एक अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है। इस दिन खरीदारी, भूमिपूजन और गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।

उपाय और मान्यताएं

दशहरा पर कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जैसे-

भगवान श्रीराम, देवी भगवती, मां लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और हनुमान जी की पूजा करना।
देवी अपराजिता की पूजा कर उन्हें अपराजिता के फूलों की माला अर्पित करना।
श्रीयंत्र की पूजा करना, जिससे आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।
रावण के पुतले की जलती हुई लकड़ी को घर लाना शुभ माना जाता है।

पूजा विधि

दशहरा की पूजा दोपहर के समय करना उत्तम है। रावण का दहन प्रदोष काल में करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन बही-खाते की पूजा करना, शमी वृक्ष की पूजा करना और गाय के गोबर से षट्कोणीय आकृति बनाना विशेष लाभकारी होता है।

दशहरा का महत्व

दशहरा असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर और भगवान राम ने रावण का वध किया था। यही कारण है कि इस दिन शस्त्र पूजा, दुर्गा पूजा, राम पूजा और शमी पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी कार्य शुरू किया जाता है, उसमें सफलता अवश्य मिलती है।

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