सेंट्रल डेस्क : तिब्बत में मंगलवार सुबह एक शक्तिशाली भूकंप ने तबाही मचाई। शिजांग क्षेत्र में आए इस भूकंप ने तिब्बत के शिगात्से शहर सहित आसपास के इलाकों को बुरी तरह प्रभावित किया। रिक्टर स्केल पर 7.1 तीव्रता वाले इस भूकंप ने कई इमारतों और इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाया, जिससे 53 लोगों की मौत हो गई और 62 लोग घायल हो गए। यह भूकंप नेपाल, बांग्लादेश और भूटान तक महसूस किया गया, जिससे इन देशों के नागरिकों में भय का माहौल बन गया।
7.1 तीव्रता का भूकंप और उसके परिणाम
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, मंगलवार सुबह 6:35 बजे तिब्बत और नेपाल की सीमा पर स्थित शिजांग क्षेत्र में 7.1 तीव्रता का पहला भूकंप आया। यह भूकंप बेहद शक्तिशाली था और इसके कारण कई स्थानों पर भूस्खलन, इमारतों का ढहना और अन्य प्रकार के नुकसान हुए। चीनी मीडिया के अनुसार, डिंगरी काउंटी, जो भूकंप का केंद्र था, वहां कई इमारतें ढह गईं और व्यापक नुकसान हुआ।
तिब्बत में शिगात्से शहर, जो इस क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, ने इस भूकंप से सबसे ज्यादा नुकसान झेला। यहां के कई इलाकों में इमारतों के ढहने की खबरें आईं। इसी क्षेत्र में एक घंटे के भीतर पांच और भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता 4.7 और 4.9 रिक्टर स्केल तक दर्ज की गई। इन भूकंपों का केंद्र तिब्बत और भारतीय उपमहाद्वीप के बीच स्थित वह क्षेत्र था, जहां यूरोएशियाई और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं।
नेपाल, काठमांडू में महसूस हुए झटके
नेपाल की राजधानी काठमांडू में भी भूकंप के जबरदस्त झटके महसूस किए गए। स्थानीय निवासी मीरा अधिकारी ने बताया कि भूकंप के दौरान वह अपने घर में सो रही थीं और अचानक बेड हिलने लगा। पहले तो उन्हें लगा कि उनका बच्चा बेड को हिला रहा है, लेकिन फिर खिड़की के हिलने से उन्हें महसूस हुआ कि तेज भूकंप आया है। उन्होंने तुरंत अपने बच्चे को लेकर घर से बाहर भाग कर खुले मैदान में शरण ली। काठमांडू में भी लोग सड़कों पर आ गए थे और बड़े पैमाने पर अफरा-तफरी का माहौल था।
भूकंप के कारण होने वाली हानि
तिब्बत में इस भूकंप के कारण जान-माल का बहुत नुकसान हुआ है। चीनी अधिकारियों के अनुसार, डिंगरी काउंटी में ढहने वाली इमारतों के मलबे के नीचे कई लोग दब गए, जिससे मौतों की संख्या बढ़ी। इसके अलावा, शिगात्से शहर में भी इमारतों और अन्य संरचनाओं को भारी नुकसान हुआ है। तिब्बत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश और भूटान के कई इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे नागरिकों में घबराहट फैल गई।
भूकंप के कारण हिमालय में बदलाव
यह भूकंप उस क्षेत्र में आया है, जहां भारतीय और यूरोएशियाई टेक्टोनिक प्लेटों की टक्कर होती है। इसी टक्कर के कारण हिमालय जैसे विशाल पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ है। इन प्लेटों की लगातार टक्कर से पर्वतों में समय-समय पर हलचल होती रहती है, जिससे भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र में आने वाले भूकंपों के परिणामस्वरूप पर्वतों की ऊंचाई में भी बदलाव हो सकता है।
भविष्य में भूकंप की संभावनाएं
सीसीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, शिगात्से शहर के आसपास पिछले पांच वर्षों में 29 भूकंप आ चुके हैं, जिनकी तीव्रता 3 रिक्टर स्केल या उससे अधिक रही है। हालांकि, इनमें से कोई भी भूकंप मंगलवार के भूकंप जितना शक्तिशाली नहीं था। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस क्षेत्र में भूकंपों की संख्या भविष्य में भी बढ़ सकती है, क्योंकि यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव का केंद्र है।
यह भूकंप तिब्बत, नेपाल और अन्य पड़ोसी देशों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। अब तिब्बत और नेपाल जैसे क्षेत्रों में भूकंप सुरक्षा उपायों को और सख्त करने की आवश्यकता महसूस हो रही है, ताकि इस प्रकार की आपदाओं से बचाव किया जा सके।
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