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MBNS Institute of Education : शिक्षा में क्रांति की जरूरत, नवाचारों मिलेगी सफलता : डॉ. बंश गोपाल सिंह

• एमबीएनएस इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

by Anand Mishra
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Jamshedpur (Jharkhand) : जमशेदपुर के आसनबनी स्थित एमबीएनएस इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन में “21वीं सदी में शिक्षा : चुनौतियां और अवसर” विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शिक्षा जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई। संस्थान की निदेशक अनुपा सिंह के कुशल मार्गदर्शन में आयोजित इस संगोष्ठी की अध्यक्षता विवेक सिंह ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ आमंत्रित अतिथियों और संस्थान के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया, जिससे ज्ञान और प्रकाश के इस समागम का विधिवत आगाज हुआ।

प्रौद्योगिकी और कौशल विकास पर जोर

संगोष्ठी के मुख्य अतिथि, सुन्दरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी, छत्तीसगढ़ के कुलपति डॉ. बंश गोपाल सिंह ने अपने सारगर्भित संबोधन में 21वीं सदी की शिक्षा के परिदृश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज के युग में शिक्षा के क्षेत्र में नई और अप्रत्याशित चुनौतियां सामने आ रही हैं, लेकिन इनके साथ ही विकास के नए अवसर भी मौजूद हैं। इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए हमें पारंपरिक शिक्षण विधियों से हटकर नए और नवाचारी तरीकों को अपनाने की आवश्यकता है। डॉ. सिंह ने विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि तकनीकी उपकरणों और आधुनिक शिक्षण पद्धतियों को अपनाकर हम छात्रों को अधिक प्रभावी और रुचिकर तरीके से शिक्षित कर सकते हैं, जिससे उनकी सीखने की क्षमता और ज्ञान की गहराई में वृद्धि होगी।

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना के प्रतिकुलपति डॉ. राजीव कुमार मल्लिक ने शिक्षा के व्यापक दृष्टिकोण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल छात्रों को किताबी ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि उन्हें जीवन की वास्तविक चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक कौशलों से भी लैस करना है। 21वीं सदी की शिक्षा प्रणाली को छात्रों को आत्मनिर्भर और रचनात्मक बनाने पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि वे भविष्य में सफल नागरिक बन सकें और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सकें।

ऑनलाइन शिक्षा और गुणवत्ता में सुधार

उत्तराखंड उच्च शिक्षा विभाग, आईक्यूएसी के नोडल अधिकारी और अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर डॉ. दिनेश कुमार गुप्ता ने शिक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका को और अधिक स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग न केवल शिक्षण को अधिक प्रभावी बना सकता है, बल्कि इससे शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में भी महत्वपूर्ण सुधार लाया जा सकता है। डॉ. गुप्ता ने ऑनलाइन शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह छात्रों को अधिक लचीलापन और सुविधा प्रदान करती है, जिससे वे अपनी गति और आवश्यकता के अनुसार ज्ञान अर्जित कर सकते हैं।

संस्कृति, मूल्य और व्यक्तिगत आवश्यकताओं पर ध्यान

ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षा शास्त्री विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मीधर पांडा ने शिक्षा के मानवीय पहलू पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को उनकी संस्कृति और मूल्यों के बारे में भी शिक्षित करना चाहिए। इसके साथ ही, शिक्षण संस्थानों को प्रत्येक छात्र की व्यक्तिगत आवश्यकताओं और रुचियों पर विशेष ध्यान देना जरूरी है, ताकि उनकी प्रतिभा को सही दिशा में विकसित किया जा सके।

अवसर, कौशल विकास और प्रतिभा का प्रदर्शन

कोल्हान विश्वविद्यालय के सीवीसी डॉ. संजीव आनंद ने शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों को अधिक अवसर प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों में कौशल विकास को प्रोत्साहित करके और उन्हें अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए उचित मंच प्रदान करके ही हम उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं। डॉ. आनंद ने छात्रों को अधिक समर्थन प्रदान करने और उनके व्यक्तिगत एवं पेशेवर विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता भी बताई।

व्यावसायिक आवश्यकताएं और सामाजिक जिम्मेदारी

चाईबासा स्थित जीसी जैन कॉमर्स कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजीव कुमार सिंह ने शिक्षा को व्यावसायिक आवश्यकताओं से जोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धी युग में छात्रों की व्यावसायिक आवश्यकताओं और आवश्यक स्किल्स पर अधिक ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है। शिक्षण संस्थानों को छात्रों के व्यावसायिक विकास के लिए अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने चाहिए, ताकि वे रोजगार प्राप्त करने और सफल उद्यमी बनने में सक्षम हो सकें।

कोल्हान विश्वविद्यालय के एनएसएस समन्वयक डॉ. दारा सिंह गुप्ता ने शिक्षा के सामाजिक आयाम पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि छात्रों को समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनाना भी है। एनएसएस जैसी गतिविधियों के माध्यम से छात्रों को समाज सेवा और सामुदायिक विकास के कार्यों में शामिल करके उनमें जिम्मेदारी और कर्तव्य की भावना विकसित की जा सकती है।

सार्थक चर्चा और आभार ज्ञापन

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य 21वीं सदी में शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली विभिन्न चुनौतियों और अवसरों पर विस्तृत चर्चा करना था। विभिन्न वक्ताओं ने अपने মূল্যবান विचार प्रस्तुत किए और इन चुनौतियों का सामना करने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए व्यावहारिक सुझाव दिए। संगोष्ठी के समापन पर सभी सक्रिय प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम का कुशल संचालन शिखा शर्मा और इशिका बनर्जी ने किया, जिन्होंने अपनी प्रभावी प्रस्तुति से संगोष्ठी को जीवंत बनाए रखा। इस अवसर पर एमबीएनएस इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन की निदेशक अनुपा सिंह ने सभी सम्मानित अतिथियों और सक्रिय प्रतिभागियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। इस महत्वपूर्ण आयोजन में संस्थान के शोध छात्रों, संकाय सदस्यों और विभिन्न संकायों के लगभग 200 छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। संगोष्ठी के आयोजन में निदेशक अनुपा सिंह, डॉ. दीपिका भारती, भवतारण भकत, मिलि कुमारी, मधुसूदन महतो, राजेश्वर वर्मा समेत अन्य की सराहनीय भूमिका रही।

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