Home » YI स्कूलों में लगा रहा विजन बोर्ड, बच्चों के दृष्टि दोष की तत्काल हो सकेगी पहचान

YI स्कूलों में लगा रहा विजन बोर्ड, बच्चों के दृष्टि दोष की तत्काल हो सकेगी पहचान

by Rakesh Pandey
YI vision board
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

जमशेदपुर : नेत्र स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता की कमी की समस्या को देखते हुए यंग इंडियंस ने बच्चे के जरिए ही दृष्टि स्क्रीनिंग की अवधारणा विकसित की है। (YI vision board) खास बात यह है कि यह सारी प्रक्रिया खुद बच्चों और स्कूल के शिक्षकों के ही जिम्मे होगी। इस संबंध में नेत्र विशेषज्ञ डॉ. विवेक केडिया ने बताया कि यंग इंडियस की पहल पर सरकारी और निजी स्कूलों में विजन चार्ट लगा रहे हैं, ताकि बच्चे एक निश्चित दूरी पर खड़ा होकर अपना विजन चेक कर सकें।

इसके लिए शिक्षकों को भी ट्रेन किया जा रहा हैं। कहा कि हाल के दिनों में आंखों की बीमारी बच्चों में बढ़ी है, लेकिन वे बताते नहीं हैं। समय पर इसकी जानकारी मिलने से बेहतर इलाज हो सकेगा। जुस्को स्कूल, साउथ पार्क की प्रिंसिपल मिली सिन्हा ने स्कूली बच्चों के बीच नेत्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में यंग इंडियंस के बेहतरीन प्रयासों की सराहना की।

उन्होंने उम्मीद जताई की विजन चार्ट की स्थापना से न केवल छात्रों को मदद मिलेगी, बल्कि समग्र नेत्र स्वास्थ्य जागरूकता और कल्याण में उल्लेखनीय वृद्धि भी होगी। उन्होंने कहा कि इस पहल से, छात्रों की नियमित दृष्टि जांच में आसानी होगी और किसी भी समस्या की तत्काल पहचान हो सकेगी। इससे जल्द से जल्द समस्या का समाधान हो सकेगा।

आज तीन स्कूलों में उद्घाटन स्थापना कार्यक्रम में डॉ विवेक केडिया, यंग इंडियंस के सदस्य उमंग अग्रवाल, अंकिता नरेडी, नेहा अग्रवाल, मोक्षिता गौतम, ऋचा अग्रवाला और स्नेहा गांधी उपस्थित थे।

3 स्कूलों में विजन बोर्ड से हुई शुरुआत

इसके लिए यंग इंडियंस (YI)द्वारा स्कूलों में विजन बोर्ड की शुरुआत की गई है। इसके तहत जमशेदपुर के 200 स्कूलों में विजन बोर्ड लगाए जाएंगे। इसकी शुरुआत आज शहर के 3 स्कूलों से हुई। इस क्रम में जुस्को स्कूल, साउथ पार्क, आरएमएस स्कूल, खूंटाडीह और बिष्टुपुर स्थित जमशेदपुर हाई स्कूल में विजन चार्ट लगाए गए।

कैसे होगी दृष्टि जांच

दृष्टि जांच की प्रक्रिया भी सामान्य है। इसके लिए विद्यार्थियों को दृष्टि चार्ट से 10 फीट की दूरी पर खड़ा होना होगा और पढ़ते समय एक आंख को ढंकना होगा। यदि उन्हें चार्ट को सही ढंग से पढ़ने में कठिनाई का अनुभव होता है, तो उन्हें क्लिनिक में जांच कराने के लिए कहा जाएगा। इसके साथ ही स्कूल में ऐसे छात्रों की एक लॉगबुक बनाई जाएगी, जिन्हे विज़न चार्ट को सही ढंग से पढ़ने में परेशानी हो रही हो, ताकि उनका उचित नेत्र परीक्षण कराया जा सके।

YI के हेल्थ वर्टिकल की पहल (YI vision board)

इस कार्यक्रम का नेतृत्व वाईआई जमशेदपुर के हेल्थ वर्टिकल द्वारा किया जा रहा है, जिसके चेयर उमंग अग्रवाल हैं और इसमें डॉ. विवेक केडिया (त्रिनेत्रम आई हॉस्पिटल) का भी महत्वपूर्ण योगदान मिल रहा है। कुल मिलाकर कहें तो, स्कूल जाने वाले बच्चे अब अपनी दृष्टि परीक्षण की जिम्मेदारी स्वयं ले सकते हैं। यह स्कूलों में बच्चे से बच्चे की दृष्टि स्क्रीनिंग की एक अनूठी अवधारणा है।

इसके बाद अब शिक्षकों को उन बच्चों की पहचान करने में आसानी होगी, जिन्हें पढ़ने में समस्या का सामना करना पड़ता है। YI हेल्थ वर्टिकल के चेयर उमंग अग्रवाल ने बताया कि किस बच्चे की पढ़ाई चश्मे के कारण प्रभावित हो रही है, इसकी पहचान शिक्षक से बेहतर कोई नहीं कर सकता। कुछ भी सीखना हो तो उसके लिए देखना जरूरी है। ऐसे में जिस बच्चे को देखने में परेशानी हो रही है, शिक्षक उस बच्चे के व्यवहार संबंधी परिणामों का निरीक्षण कर सकते हैं।

कई ऐसे बच्चे हैं जो, बोर्ड देखने के लिए क्लासरूम में इधर-उधर घूमते रहते हैं, जिन्हें पढ़ने में मजा नहीं आता है, आदि कुछ ऐसे लक्षण है, जिससे यह पता चल सकता है कि बच्चे को सही तरीके से देखने में परेशानी हो रही है। ऐसे में शिक्षकों की भूमिका बढ़ जाती है।

2023 में आयोजित नेत्र शिविर से मिला आइडिया

यह परियोजना 2023 में स्कूलों में नेत्र जांच शिविर आयोजित करने के दौरान यंग इंडियंस YI को हुए अनुभव के बाद धरातल पर उतारी गई है। उस दौरान यह देखने को मिला कि बच्चों को यह पता भी नहीं था कि उन्हें चश्मे की जरूरत है। एक स्कूल में जांच के दौरान 148 बच्चों में से 75 में दृष्टि संबंधी समस्याएं सामने आई थीं। इसी तरह एक अन्य स्कूल में चौथी कक्षा के दो छात्रों को देखने में काफी समस्या थी और खास बात यह है कि उनके माता-पिता को इसकी जानकारी ही नहीं थी।

READ ALSO: लोकसभा चुनाव : डीसी-एसएसपी पहुंचे बोड़ाम एवं पटमदा, क्लस्टर का लिया जायजा

Related Articles