फीचर डेस्क: भारतीय समाज सुधारक और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर न केवल एक महान नेता थे बल्कि एक अद्वितीय विद्वान और शिक्षाविद् भी थे। उनका जीवन शैक्षिक और बौद्धिक दृष्टि से अत्यंत प्रेरणादायक था। अंबेडकर का मानना था कि शिक्षा ही समाज में समानता और न्याय की स्थापना का सबसे प्रभावी माध्यम है। यही कारण है कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी शिक्षा के क्षेत्र में कई मील के पत्थर स्थापित किए। डॉ. अंबेडकर का शिक्षा जीवन बहुत ही प्रेरणादायक था, जिसमें उन्होंने दुनिया भर के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से उच्च शिक्षा प्राप्त की। आइए जानते हैं उनकी शैक्षिक यात्रा के बारे में और कितनी डिग्रियां उन्होंने हासिल की।
अंबेडकर की प्रारंभिक शिक्षा और संघर्ष
डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। वे एक गरीब और शोषित महार जाति के परिवार से थे। उनकी शिक्षा की यात्रा बहुत ही कठिनाईपूर्ण रही। भारतीय समाज में जातिवाद के कारण अंबेडकर को स्कूल और कॉलेज में भेदभाव और अपमान का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
विश्वविद्यालयों से उच्च शिक्षा
डॉ. अंबेडकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाने का निर्णय लिया। उन्होंने 1912 में बंबई विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय (New York) से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की।
उनकी शिक्षा यात्रा यहीं खत्म नहीं हुई। अंबेडकर ने 1923 में लंदन विश्वविद्यालय के लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कानून और अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उनका यह सफर दुनिया भर में उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना, जो सामाजिक असमानता और भेदभाव से जूझ रहे थे।
अंबेडकर की डिग्रियां और उनके योगदान
डॉ. अंबेडकर ने केवल एक, दो नहीं, बल्कि कुल 5 महत्वपूर्ण डिग्रियां हासिल की थीं:-
एमए (राजनीति विज्ञान) – बंबई विश्वविद्यालय
पीएचडी (अर्थशास्त्र) – कोलंबिया विश्वविद्यालय
डीएससी (स्नातकोत्तर) – लंदन विश्वविद्यालय
एलएलडी (कानून में डॉक्टरेट) – लंदन विश्वविद्यालय
डॉक्टरेट (संविधान का निर्माण) – भारतीय संविधान निर्माण के दौरान
इन डिग्रियों से स्पष्ट है कि डॉ. अंबेडकर ने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी उच्च शिक्षा प्राप्त की और समाज को शिक्षित किया। उन्होंने न केवल सामाजिक न्याय की आवाज उठाई, बल्कि अपने ज्ञान और शिक्षा से भारतीय समाज के शोषित वर्गों के लिए नई दिशा भी प्रदान की।
डॉ. अंबेडकर का शैक्षिक दृष्टिकोण
अंबेडकर का मानना था कि शिक्षा ही समाज में सुधार लाने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। वे हमेशा कहते थे कि “शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसके द्वारा हम दुनिया को बदल सकते हैं।” उन्होंने समाज के निचले वर्गों को शिक्षा की ताकत को समझाने और उन्हें इससे जोड़ने का काम किया।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने न केवल सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया, बल्कि उन्होंने अपनी शिक्षा के माध्यम से भारतीय समाज को एक नई दिशा भी दी। उनके पास जो शैक्षिक डिग्रियां थीं, वे न केवल उनकी मेहनत और संघर्ष को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी प्रमाणित करती हैं कि शिक्षा की शक्ति से ही किसी भी समाज को बदलने की क्षमता है। अंबेडकर का जीवन एक प्रेरणा है कि अगर व्यक्ति में शिक्षा के प्रति सच्ची लगन हो, तो वह किसी भी कठिनाई को पार करके ऊंचाइयों को छू सकता है।