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Delhi Special Cell Arrests : स्पेशल सेल ने नकली भारतीय नोट छापने की प्रयोगशाला का किया भंडाफोड़

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में दो आरोपियों गिरफ्तार, 44,500 रुपये के नकली नोट बरामद

by Rakesh Pandey
Delhi Special Cell Arrests
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नई दिल्ली : स्पेशल सेल ने उत्तर प्रदेश के अमरोहा में नकली भारतीय नोट छापने वाली एक प्रयोगशाला का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में पुलिस ने दो आरोपियों, अदनान (22) और दानिश (22), को गिरफ्तार किया है, जो अमरोहा के रहने वाले हैं। दोनों आरोपियों के कब्जे से 44,500 रुपये मूल्य के नकली नोट, एक कलर प्रिंटर, पेपर शीट, पेपर कटर और नोटों पर इस्तेमाल होने वाली विशेष ग्रीन टेप बरामद की गई है।

DCP अमित कौशिक का बयान

डीसीपी अमित कौशिक ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 100 रुपये के नकली नोट चलाए जा रहे हैं। इस सूचना के आधार पर पुलिस ने एक विशेष टीम गठित की और गिरोह पर नजर रखना शुरू किया। जांच के दौरान पता चला कि अमरोहा के कुछ लोग नकली नोट छापकर उनकी आपूर्ति कर रहे हैं।

डिलीवरी से पहले पकड़ा गया अदनान

20 जून को पुलिस को जानकारी मिली कि अदनान दिल्ली के दल्लूपुरा इलाके में नकली नोटों की खेप देने वाला है। पुलिस ने जाल बिछाकर अदनान को 30,000 रुपये मूल्य के 100 रुपये के नकली नोटों के साथ पकड़ लिया। पूछताछ में अदनान ने खुलासा किया कि वह अपने दोस्त दानिश के साथ मिलकर अमरोहा में दानिश के घर पर बनी प्रयोगशाला में नकली नोट छापता था।

दानिश के घर से बरामद हुआ प्रिंटिंग सेटअप

अदनान की निशानदेही पर पुलिस ने अमरोहा में दानिश के घर पर छापा मारा, जहां नकली नोट छापने की पूरी व्यवस्था मिली। पुलिस ने वहां से 14,500 रुपये मूल्य के नकली नोट (100 और 200 रुपये के) बरामद किए। इसके साथ ही कुछ अधबने नोट, एक कलर प्रिंटर, पेपर शीट, पेपर कटर और ग्रीन टेप भी जब्त की गई, जो नकली नोटों को असली जैसा दिखाने के लिए इस्तेमाल की जाती थी।

कम मूल्य के नकली नोटों से करते थे ठगी

पूछताछ में अदनान ने बताया कि उसने 12वीं तक पढ़ाई की है और वह एक पैथोलॉजिकल लैब में सैंपल कलेक्शन का काम करता था। उसके पिता जर्रार आसपास के गांवों में बीड़ी बेचते हैं। आसान कमाई के लिए उसने एक व्यक्ति से नकली नोट छापने की तकनीक सीखी और अपने पुराने दोस्त दानिश को इस काम में शामिल कर लिया। दानिश ने 8वीं तक पढ़ाई की है और वह अमरोहा में एक फैक्ट्री में मजदूरी करता था। दोनों पिछले 4-5 महीनों से नकली नोट छाप रहे थे।

पुलिस के अनुसार, आरोपी कम मूल्य (100 और 200 रुपये) के नकली नोट छापते थे, क्योंकि इन्हें बाजार में आसानी से चलाया जा सकता है और इनकी कम जांच होती है। पुलिस इस मामले में आगे की जांच कर रही है और गिरोह के अन्य सदस्यों व उनके नेटवर्क का पता लगाने के लिए बैकवार्ड और फॉर्वर्ड लिंकेज की जांच कर रही है।

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