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दिल्ली कूच को फिर बढ़े किसान : नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर किसानों का महाजाम, जानिए उनकी प्रमुख डिमांड

by Rakesh Pandey
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सेंट्रल डेस्क : नोएडा से दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों ने एक बार फिर दिल्ली कूच का ऐलान किया है। किसानों का यह मार्च 2 दिसंबर 2024 को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेतृत्व में हो रहा है। किसानों ने लंबे समय से नोएडा की तीनों अथॉरिटीज (नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण) का घेराव किया है, लेकिन अब उनकी प्रमुख मांगों को लेकर एक बार फिर आंदोलन तेज हो गया है। रविवार को किसानों और प्रशासन के बीच एक हाई-लेवल बैठक हुई, लेकिन इस बैठक में कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका।

किसान अब संसद घेराव की योजना बना रहे हैं और उनका उद्देश्य भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को उनका अधिकार दिलाना है। उनकी प्रमुख डिमांड में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को 10 फीसदी विकसित प्लॉट देने और नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा देने की बात शामिल है।

किसानों की प्रमुख डिमांड

किसानों ने स्पष्ट किया है कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता। इन प्रमुख मांगों में शामिल हैं:

भूमि अधिग्रहण मुआवजा – किसानों का कहना है कि 1 जनवरी 2014 के बाद जिन किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है, उन्हें 4 गुना मुआवजा दिया जाए।

सर्किल रेट बढ़ाने की मांग – गौतमबुद्ध नगर में पिछले 10 सालों से सर्किल रेट (जमीन के मूल्यांकन दर) में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जबकि महंगाई लगातार बढ़ी है। किसान चाहते हैं कि सर्किल रेट को तुरंत बढ़ाया जाए।

भूमि अधिग्रहण के लाभ – किसानों की मांग है कि नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत जिले में लाभ लागू किया जाए, जिसमें किसानों को 10 फीसदी विकसित भूखंड दिए जाएं और मुआवजा दर 64.7 फीसदी हो।

रोजगार और पुनर्विकास – भूमिधर और भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्विकास के अवसर मिलें।

हाई पावर कमेटी की सिफारिशें लागू हों – किसानों का कहना है कि सरकार की हाई पावर कमेटी की सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू किया जाए।

क्या हुआ था पिछले दिनों

रविवार को किसानों और प्रशासन के अधिकारियों के बीच यमुना प्राधिकरण के सभागार में 3 घंटे तक बातचीत हुई। हालांकि, वार्ता में कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका। किसानों का कहना है कि अधिकारियों ने उनके मुद्दों पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। इसके बाद किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ का नारा बुलंद किया और संसद घेराव की योजना बनाई।

मार्च की योजना और ट्रैफिक अलर्ट

किसान सोमवार (2 दिसंबर) को नोएडा से दिल्ली की ओर मार्च करेंगे। भारतीय किसान परिषद (BKP) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) जैसे संगठन इस मार्च में शामिल हो रहे हैं। किसान सुबह 12 बजे से महामाया फ्लाईओवर के पास जुटना शुरू करेंगे और ट्रैक्टरों से दिल्ली की ओर मार्च करेंगे। इसमें गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, आगरा जैसे 20 जिलों के किसान शामिल हो रहे हैं।

किसानों के दिल्ली कूच के मद्देनजर पुलिस ने ट्रैफिक को लेकर अलर्ट जारी किया है। नोएडा और दिल्ली के बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। चिल्ला बॉर्डर पर भारी जाम देखने को मिल रहा है और किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड्स लगा दिए हैं। कई रास्तों को डायवर्ट किया गया है और मेट्रो का उपयोग करने की सलाह दी गई है।

ट्रैफिक डायवर्सन

चिल्ला बॉर्डर से ग्रेटर नोएडा – वाहन सेक्टर 14ए फ्लाईओवर से गोल चक्कर चौक सेक्टर 15 होकर गंतव्य तक जाएंगे।
डीएनडी बॉर्डर से दिल्ली – वाहन फिल्म सिटी फ्लाईओवर से सेक्टर 18 होकर एलीवेटेड मार्ग का उपयोग कर सकते हैं।
कालिंदी बॉर्डर से दिल्ली – वाहन महामाया फ्लाईओवर से सेक्टर 37 होकर दिल्ली की ओर जाएंगे।
इसके अलावा, यमुना एक्सप्रेसवे और अन्य प्रमुख मार्गों पर मालवाहक वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है। यातायात से संबंधित समस्याओं के लिए हेल्पलाइन नंबर 9971009001 पर संपर्क किया जा सकता है।

आने वाले दिन : पंजाब-हरियाणा से दिल्ली कूच

पंजाब और हरियाणा के किसान 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच करेंगे। वे शंभू और खनौरी बॉर्डर से मार्च करेंगे और शांतिपूर्वक दिल्ली पहुंचने का लक्ष्य रखेंगे। इन किसानों की प्रमुख मांगें एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानूनी गारंटी और कृषि क्षेत्र में अनुबंध खेती को खत्म करना हैं। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले यह आंदोलन लंबे समय से जारी है, और किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है।

किसान अपनी जायज़ मांगों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं, और उनकी यह लड़ाई अब संसद घेराव तक पहुंच चुकी है। नोएडा और दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन बढ़ने के कारण यातायात में भी भारी अव्यवस्था हो रही है। प्रशासन और पुलिस इस स्थिति से निपटने के लिए सतर्क हैं, लेकिन किसानों का कहना है कि वे अपने हक के लिए शांतिपूर्वक आंदोलन करेंगे।

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