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पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग के भाई विनोद सहवाग गिरफ्तार: चंडीगढ़ पुलिस ने चेक बाउंस मामले में की कार्रवाई

केस में आरोप है कि जाल्टा कंपनी ने श्री नैना प्लास्टिक कंपनी से 7 करोड़ रुपये का सामान खरीदा था और इसके एवज में 7 चेक दिए थे, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 1 करोड़ रुपये थी।

by Anurag Ranjan
पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग के भाई विनोद सहवाग गिरफ्तार: चंडीगढ़ पुलिस ने चेक बाउंस मामले में की कार्रवाई
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स्पोर्ट्स डेस्क: पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग के भाई विनोद सहवाग को चंडीगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उन्हें चेक बाउंस के मामले में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने विनोद सहवाग को चंडीगढ़ की जिला अदालत में पेश किया, जहां उनके अधिवक्ता ने जमानत याचिका दायर की। हालांकि, पुलिस ने इस याचिका का विरोध किया और अब अदालत इस मामले पर फैसला करेगी।

चेक बाउंस का है मामला

इस मामले का संबंध एक बड़े चेक बाउंस केस से है, जो 7 करोड़ रुपये के चेक बाउंस से जुड़ा हुआ है। यह केस बद्दी स्थित श्री नैना प्लास्टिक कंपनी द्वारा दिल्ली की जाल्टा फूड एंड बेवरेजेस कंपनी और उसके तीन डायरेक्टर्स के खिलाफ दायर किया गया था। इन तीन डायरेक्टर्स में से एक नाम विनोद सहवाग का भी है।

केस में आरोप है कि जाल्टा कंपनी ने श्री नैना प्लास्टिक कंपनी से 7 करोड़ रुपये का सामान खरीदा था और इसके एवज में 7 चेक दिए थे, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 1 करोड़ रुपये थी। लेकिन जब इन चेकों को बैंक में डाला गया, तो उनके अकाउंट में पर्याप्त फंड नहीं होने के कारण ये चेक बाउंस हो गए।

इसके बाद, श्री नैना प्लास्टिक कंपनी ने जाल्टा कंपनी और उनके तीन डायरेक्टर्स के खिलाफ लीगल नोटिस भेजा और 15 दिनों के भीतर भुगतान की मांग की। जब भुगतान नहीं किया गया, तो कंपनी ने चेक बाउंस का मामला अदालत में दायर किया।

लोअर कोर्ट ने जारी किया था समन

इसके पहले, लोअर कोर्ट ने विनोद सहवाग और अन्य आरोपियों को अदालत में पेश होने के लिए समन जारी किया था। हालांकि, वे अदालत में उपस्थित नहीं हुए, जिसके बाद अदालत ने उनके खिलाफ वारंट जारी किए। विनोद सहवाग समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ भगौड़ा घोषित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी। इसके बाद, 22 जुलाई 2019 को विनोद सहवाग अदालत में पेश हुए और उन्हें 2 लाख रुपये की श्योरिटी पर जमानत मिल गई थी।

हालांकि, मामले में विनोद सहवाग ने आरोप लगाया है कि उन्हें आरोपी बनाए जाने का फैसला गलत है। उनका कहना है कि वह इस कंपनी के डायरेक्टर नहीं हैं और न ही उन्होंने कंपनी के दैनिक कामकाज में कोई भूमिका निभाई है। इसके बावजूद, उन्होंने सेशंस कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर कर दी है, जिसमें उन्होंने अदालत से निर्णय को चुनौती दी है।्र

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