गोरखपुर : समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता और पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय शंकर तिवारी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के ओर से दर्ज धोखाधड़ी और बैंक लोन मामले में कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनके साथ गिरफ्तार हुए अजीत पांडे को भी जमानत दे दी गई है।
जमानत के बाद बढ़ी सियासी हलचल
विनय शंकर तिवारी की जमानत से पूर्वांचल की राजनीति में एक बार फिर से नया मोड़ आ गया है। इस घटनाक्रम के बाद उनके समर्थकों में उत्साह की लहर है। वहीं, उनके भाई कुशल तिवारी ने गिरफ्तारी को ‘विद्वेषपूर्ण’ और ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया है।
क्या था मामला?
प्रवर्तन निदेशालय ने विनय शंकर तिवारी पर बैंक लोन से जुड़ी धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया था। लेकिन उनके भाई कुशल तिवारी ने कहा कि “इस मामले में विनय को पहले ही NCLT और NCLAT से कानूनी राहत मिल चुकी थी, इसके बावजूद उन्हें गिरफ्तार किया गया, जो राजनीतिक बदले की भावना को दर्शाता है।”
तिवारी परिवार का रहा है राजनीतिक प्रभाव
पंडित हरिशंकर तिवारी का परिवार लंबे समय से गोरखपुर और पूर्वांचल की राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभाता रहा है। इस जमानत और गिरफ्तारी के विवाद ने एक बार फिर से तिवारी परिवार को सियासी चर्चाओं में ला खड़ा किया है।
चिल्लूपार की सड़कों पर दिखा उत्साह
विनय शंकर तिवारी को कोर्ट से जमानत मिलने के बाद उनके समर्थकों ने जोरदार जश्न मनाया। जैसे ही यह खबर चिल्लूपार पहुंची, सैकड़ों कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और ढोल-ताशों के साथ पटाखे फोड़े, मिठाइयां बांटी और एक-दूसरे को बधाई दी।
कार्यकर्ताओं ने चिल्लूपार कस्बे में जमकर जश्न मनाया। समर्थकों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। माहौल में जोश और उत्साह का संचार था, मानो यह किसी चुनावी जीत का जश्न हो।
नेताओं ने कहा- न्याय की जीत, सत्ता की साजिश बेनकाब
बड़हलगंज के पूर्व ब्लॉक प्रमुख राजबहादुर सिंह और जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन रामदरश विद्यार्थी ने कहा कि “उच्च न्यायालय ने सच्चाई और न्याय की जीत का फैसला सुनाया है। सत्ता के इशारे पर जो राजनीति हो रही थी, वह अब बेनकाब हो गई है। यह फैसला सत्तारूढ़ नेताओं के मुंह पर तमाचा है।”