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गोवर्धन पूजा, भाई दूज 2024 : जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

गोवर्धन पूजा की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर 2024 को संध्या 6.16 बजे से होगा, जो 2 नवंबर को रात्रि 8.21 बजे समाप्त होगी।

by Rakesh Pandey
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फीचर डेस्क : गोवर्धन पूजा जो दीपावली के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है, एक विशेष धार्मिक उत्सव है। इस दिन अन्नकूट और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है, जो कि प्रकृति और जीवन के प्रति आभार व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस पूजा का आरंभ भगवान श्रीकृष्ण ने किया था, जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था।

गोवर्धन पूजा की तिथि

इस वर्ष गोवर्धन पूजा 2 नवंबर, 2024 (शनिवार) को मनाई जाएगी। इस दिन श्रद्धालु विशेष रूप से गोवर्धन पर्वत की पूजा करके प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर 2024 को संध्या 6.16 बजे से होगा, जो 2 नवंबर को रात्रि 8.21 बजे समाप्त होगी। इस अवसर पर गोवर्धन और अन्नकूट का त्योहार 2 नवंबर को मनाने की सलाह दी गई है।

पूजा के लिए विशेष मुहूर्त

पहला मुहूर्त : प्रात: 6.34 बजे से रात्रि 8.46 बजे तक।
दूसरा मुहूर्त : अपराह्न 3.23 बजे से संध्या 5.35 बजे तक।
तीसरा मुहूर्त : संध्या 5.35 बजे से संध्या 6.01 बजे तक।
इन मुहूर्तों में पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा की विधि में सबसे पहले शरीर पर तेल की मालिश करके स्नान करना आवश्यक है। इसके बाद, घर के मुख्यद्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है। उसके चारों ओर ग्वाल-बाल, पेड़ और पौधों की आकृतियां बनाई जाती हैं।

पर्वत के बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाती है। फिर गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। पूजा के बाद श्रद्धालु अपनी मनोकामना प्रकट करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत तथा विशेष पकवानों का भोग अर्पित करते हैं।

इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करने से संतान से संबंधित समस्याओं का समाधान होता है, ऐसी मान्यता है।

अन्नकूट की महत्वता

गोवर्धन पूजा के दिन श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न मिठाई और पकवान से भोग लगाते हैं। इस दिन विशेष रूप से 56 प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं, जिन्हें अन्नकूट कहा जाता है। यह परंपरा आज भी जीवित है और विभिन्न मंदिरों में भी अन्नकूट का आयोजन होता है।

गोवर्धन पूजा की कथा

गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व भगवान श्रीकृष्ण की एक कथा से जुड़ा है। जब इंद्र देव ने गोकुलवासियों से नाराज होकर मूसलधार बारिश शुरू की, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाकर सभी को सुरक्षित रखा। इसके बाद उन्होंने कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का आदेश दिया। यही कारण है कि आज भी यह पूजा धूमधाम से मनाई जाती है।

भाई दूज की जानकारी

गोवर्धन पूजा के बाद भाई दूज का पर्व आता है, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। 2 नवंबर 2024 को भाई दूज की तिथि रात्रि 8.21 बजे शुरू होगी और इसका समापन 3 नवंबर को रात्रि 10.05 बजे होगा। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक करके उनके लंबे जीवन की कामना करती हैं।

गोवर्धन पूजा और भाई दूज का पर्व हमें न केवल धार्मिक आस्था के प्रति जागरूक करता है, बल्कि परिवार और समाज के प्रति हमारे कर्तव्यों को भी सिखाता है। इस साल, गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्योहार मनाते समय इन विशेष परंपराओं और विधियों का पालन करें और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करें।

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