सेंट्रल डेस्क : पीलीभीत के गुरप्रीत सिंह की कहानी एक संघर्ष की मिसाल बन गई है। उन्होंने 37 लाख रुपये खर्च करके अमेरिका पहुंचने की कोशिश की, लेकिन अंत में उन्हें न केवल खाली हाथ लौटना पड़ा, बल्कि अमेरिकी सैनिकों द्वारा पकड़े जाने के बाद हाथों और पैरों में हथकड़ी भी लगाई गई।
गुरप्रीत ने बताया कि वह पहले इंग्लैंड गए थे, लेकिन वहां उनका स्टडी वीजा समाप्त हो गया और उन्हें काम करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने डंकी रूट के जरिए अमेरिका जाने का फैसला किया। इस रास्ते में उन्होंने 22 लाख रुपये खर्च किए और स्पेन से मैक्सिको होते हुए अमेरिका पहुंचे, लेकिन अमेरिका की सीमा में प्रवेश करते ही उन्हें पकड़ लिया गया।
22 दिनों तक अमेरिका के डिटेंशन कैंप में रहे
22 दिनों तक अमेरिका के डिटेंशन कैंप में रखने के बाद गुरप्रीत को भारतीय अवैध प्रवासी के रूप में पहचान कर वापस भारत भेज दिया गया। इस दौरान उसे न केवल खाने की कमी महसूस हुई, बल्कि नहाने का भी कोई मौका नहीं मिला। हालांकि, गुरप्रीत ने अमेरिकी सैनिकों का व्यवहार ठीक बताया, लेकिन उनका मानना था कि सैनिकों ने सुरक्षा के मद्देनजर यह कदम उठाया था।
पहुंचा भारी आर्थिक नुकसान
घर लौटने पर गुरप्रीत और उनके पिता बेहद मायूस थे, क्योंकि इस यात्रा ने उन्हें न केवल मानसिक बल्कि आर्थिक रूप से भी भारी नुकसान पहुंचाया। गुरप्रीत की मां अपने बेटे की वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रही थी और जब वह वापस लौटे, तो घर पर रिश्तेदारों का तांता लग गया।