हजारीबागः झारखंड की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली एक बार फिर सामने आ गई है। 4 जून की रात हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को समय पर इलाज नहीं मिल पाया। महिला को लेकर परिजन अस्पताल पहुंचे, लेकिन ऑपरेशन थिएटर (OT) का दरवाजा उसके लिए नहीं खोला गया।
मेडिकल कॉलेज से निजी अस्पताल ले गए परिजन
प्रसूता महिला को उसके परिजन बड़ी उम्मीद लेकर हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल लेकर पहुंचे थे। वहां कोई देखने-सुननवाला नहीं मिला। काफी देर तक उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कहां जाएं, किससे और क्या कहें। काफी देर तक उधेड़बुन में रहने के बाद उन्हें लगा कि समय रहते किसी और जगह नहीं ले गए तो समस्या बढ़ सकती है। इसके बाद मजबूरी में परिजनों को महिला को निजी अस्पताल ले जाना पड़ा।
अस्पताल में नहीं मिला कोई डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी
मामला यह था कि बरकट्ठा निवासी विनोद कुमार साव अपनी गर्भवती पत्नी को लेकर रात करीब तीन बजे अस्पताल पहुंचे। मौके पर न कोई डॉक्टर मिला, न ही कोई स्वास्थ्यकर्मी। महिला दर्द से तड़प रही थी और परिजन मदद के लिए इधर-उधर भटकते रहे। उन्होंने OT का दरवाजा बार-बार खटखटाया, लेकिन अंदर से दरवाजा बंद था। लाख गुहार और दरवाजा पीटने के बावजूद किसी ने दरवाजा नहीं खोला।
सरकारी दावों की खुली पोल
यह घटना बताती है कि आपातकालीन हालात से निपटने के लिए शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज कितना तैयार है। स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी भले ही मीडिया में बेहतर व्यवस्था के दावे करते हों, लेकिन हकीकत इससे अलग है। परिजनों के अनुसार, अगर समय पर इलाज मिल जाता तो उन्हें निजी अस्पताल का सहारा नहीं लेना पड़ता।


