- हेडमास्टर अनिल कुमार विश्वकर्मा ने मध्याह्न भोजन योजना (MDM) के तहत सितम्बर महीने की राशि की निकासी के लिए 5000 रुपये घूस मांगी थी। एमडीएम के अंतर्गत राशि निकासी का नियम है कि इसे हर महीने की 31 तारीख या 1 तारीख तक निकासी करनी होती है।
गढ़वा : जिले के नगर उंटारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक अनिल विश्वकर्मा को पलामू एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने 5000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह मामला शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की एक और बानगी है, जो समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है। मद्याह्न भोजन योजना (MDM) की राशि निकासी के लिए प्रधानाध्यापक ने विद्यालय प्रबंध समिति (SMC) के अध्यक्ष के रिश्वत की मांग की थी। परिणाम यह हुआ कि वह एसीबी की गिरफ्त में आ गये।
शिकायत और गिरफ्तारी
यह गिरफ्तारी एक वादी की शिकायत पर हुई है, जिसमें उन्होंने बताया कि वे रा.म.वि. नगर उंटारी में विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) के अध्यक्ष हैं। वादी ने शिकायत में कहा कि प्रधानाध्यापक अनिल कुमार विश्वकर्मा ने मध्याह्न भोजन योजना के तहत सितम्बर महीने की राशि की निकासी के लिए 5000 रुपये की घूस मांगी। मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत राशि निकासी का नियम है कि इसे हर महीने की 31 तारीख या 1 तारीख तक निकासी करनी होती है। लेकिन इस महीने 15 दिन से अधिक हो जाने के बाद भी राशि की निकासी नहीं हुई थी, जिससे वादी को प्रधानाध्यापक की ओर से घूस की मांग का सामना करना पड़ा।
एसीबी की कार्रवाई
एसीबी की टीम ने शिकायत की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की और एक जाल बिछाया। जब प्रधानाध्यापक अनिल विश्वकर्मा ने 5000 रुपये की रिश्वत स्वीकार की, तो एसीबी की टीम ने उन्हें रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई के बाद एसीबी ने आगे की जांच शुरू कर दी है ताकि इस मामले में और गहराई से छानबीन की जा सके।
शिक्षा में भ्रष्टाचार
यह घटना गढ़वा जिले में शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करती है। सरकारी योजनाओं का लाभ छात्रों तक पहुंचाने के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। जब विद्यालय के प्रमुख ही इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त हों, तो यह बच्चों के भविष्य के लिए गंभीर चिंता का विषय बन जाता है।
गिरफ्तारी के बाद, एसीबी की टीम ने मामले की गहराई से जांच करने का आश्वासन दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रकार की कार्रवाई से उम्मीद की जा रही है कि यह अन्य अधिकारियों और शिक्षकों के लिए एक चेतावनी होगी, जिससे वे सरकारी धन के दुरुपयोग से बचें। ऐसे मामलों की सूचना प्रशासन को देने की जरूरत है, ताकि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता बनी रहे और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा