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RANCHI : हेमंत सरकार ने मुसलमानों को किया निराश : गुलाम रसूल बलियावी

by Anand Mishra
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  • JDU के राष्ट्रीय महासचिव व बिहार एमएलसी ने उठाये कई सवाल
  • कहा-कोल्हान की 14 में से एक भी सीट पर कोई मुस्लिम उम्मीदवार क्यों नहीं?
  • पांच साल में मदरसा बोर्ड का गठन पर क्यों नहीं कर पाए?
  • मॉब लींचिंग के अपराधियों को सजा दिलाने में सरकार क्यों पीछे रही?

जमशेदपुर : जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार विधान परिषद के सदस्य गुलाम रसूल बलयावी ने झारखंड की हेमंत सरकार पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन की सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए और उनके साथ धोखा किया।

कोल्हान में मुस्लिम प्रतिनिधित्व पर उठाए सवाल

गुलाम रसूल बलयावी ने कोल्हान क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय की उपेक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “पिछले विधानसभा चुनाव में कोल्हान के 10 लाख अल्पसंख्यक मतदाताओं ने बड़े उत्साह के साथ इंडिया गठबंधन (झामुमो, कांग्रेस, राजद) को वोट दिया था, लेकिन सरकार ने उन्हें निराश किया।” उन्होंने यह भी पूछा कि कोल्हान की 14 सीटों में से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार क्यों नहीं दिया गया? “क्या यह न्यायपूर्ण है?” बलयावी ने पूछा।

मदरसा बोर्ड और उर्दू अकादमी पर सवाल

बलयावी ने हेमंत सोरेन से यह भी पूछा कि मदरसा बोर्ड का गठन क्यों नहीं किया गया, जबकि इस पर कोई ठोस कदम उठाया ही नहीं गया। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि उर्दू अकादमी के गठन में सरकार क्यों पीछे रही। उनका कहना था कि अगर सरकार अल्पसंख्यकों के हितों के लिए वाकई काम करना चाहती, तो इन महत्वपूर्ण मुद्दों को तुरंत हल किया जाता।

मॉब लिंचिंग के अपराधियों को सजा क्यों नहीं मिली?

बलयावी ने मॉब लिंचिंग के अपराधियों को सजा दिलाने में सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “जब भी मॉब लिंचिंग के अपराधी पकड़े गए, सरकार ने उनकी सजा दिलवाने में ढिलाई क्यों बरती?” उनका कहना था कि यह सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह ऐसे अपराधों में कड़ी कार्रवाई करती, लेकिन अफसोस कि सरकार इसमें विफल रही।

हेमंत सोरेन से नीतीश कुमार से सीखने की अपील

बलयावी ने कहा कि हेमंत सोरेन को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के न्याय के साथ विकास मॉडल से सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार ने हमेशा राजधर्म निभाया और विकास की दिशा में काम किया। हेमंत सोरेन को भी यही करना चाहिए।” बलयावी ने चुनावों को सत्ता की बीमारी का इलाज बताया और कहा कि यह मौका है जब झारखंड के लोग इस सरकार को उखाड़ फेंक सकते हैं।

वोट जाति, धर्म, या मजहब के नाम पर न दें: बलयावी की अपील

आखिर में बलयावी ने मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि वे जाति, धर्म या मजहब के आधार पर वोट न दें। “आपका वोट आपके बच्चों के भविष्य के लिए है, इसलिए उसे सोच-समझकर और सही तरीके से दें,” बलयावी ने कहा।

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